लखनऊ। एलडीए जोन-6 अंतर्गत रकाबगंज चौराहे पर मीना ट्रांसपोर्ट के बगल में बन रही अवैध बिल्डिंग को एलडीए अधिकारियों ने तीसरी बार सील कर दिया है।
इससे पहले भी दो बार सीलिंग की कार्रवाई हुई थी, लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य जारी रहा।
बड़ा सवाल यह है कि इसी रोड पर अन्य अवैध इमारतें क्यों नहीं सील की गईं? क्या कार्रवाई केवल चुनिंदा बिल्डरों पर हो रही है?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जो बिल्डर अफसरों का सम्मान करेगा वही बच जाएगा, और जो नहीं करेगा उसका नुकसान तय है।
जानकारी के अनुसार, एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के निर्देश पर अवैध निर्माणों पर सख्ती बरती जा रही है।
इसके बावजूद बार-बार सील तोड़े जाने की घटनाएं स्थानीय पुलिस और एलडीए के निगरानी तंत्र पर सवाल खड़े करती हैं।
हाल ही में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई में ढिलाई बरतने के आरोप में 7 इंजीनियर निलंबित किए गए और 9 अन्य के खिलाफ जांच की सिफारिश भी हुई।
कई मामलों में बिल्डरों और अधिकारियों की सांठगांठ भी सामने आई है।
सवाल उठता है कि
जब एक ही बिल्डिंग पर तीन-तीन बार कार्रवाई हो रही है, तो बाकी अवैध निर्माणों को क्यों छोड़ा जा रहा है?
सीलिंग के बावजूद निर्माण कैसे जारी रहता है – क्या यह निगरानी की नाकामी है या मिलीभगत का खेल?
क्या एलडीए की कार्रवाई वाकई निष्पक्ष है या फिर यह सिर्फ दिखावा है?