लखनऊ। पूर्वांचल में ताबड़तोड़ कार्यक्रमों के चलते क्षत्रिय समाज में जागरूकता बढ़ती नजर आ रही है। “राष्ट्रहित में, राजपूत (Rajput) क्षत्रिय एकीकरण अभियान” के तहत क्षत्रिय समाज के संगठनात्मक प्रयासों को बल मिल रहा है। राघवेंद्र सिंह राजू की अगुवाई में इस आंदोलन ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।
राघवेंद्र सिंह राजू ने कहा कि क्षत्रिय समाज की आबादी 13% होने के बावजूद राजनीतिक दलों में इन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे कैबिनेट, विधानसभा, लोकसभा, पंचायत या पार्टी संगठन, हर स्तर पर क्षत्रियों की अनदेखी की गई है।
“हमने रियासतें दीं, लेकिन हमारे साथ सियासत की गई। वर्ण व्यवस्था में क्षत्रियों को सबसे अधिक विभाजित किया गया है। यह राजनीतिक साजिश है, जिससे हमारी ताकत कमजोर हुई है।
राघवेंद्र सिंह राजू ने घोषणा की कि 21 और 22 जून को लखनऊ में खुले अधिवेशन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन होगा। इस फैसले ने कई छोटे संगठनों को एकजुट करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।