राहुल गांधी की अध्यक्षता में दिशा की बैठक में हंगामा, मंत्री दिनेश प्रताप सिंह से हुई तीखी नोकझोंक

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रायबरेली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में शुक्रवार को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक आयोजित हुई। बैठक का उद्देश्य विकास कार्यों की समीक्षा और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना था, लेकिन यह बैठक अचानक विवादों में घिर गई जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रदेश सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के बीच तीखी कहासुनी हो गई।
बैठक के दौरान का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें राहुल गांधी और मंत्री दिनेश प्रताप सिंह एक-दूसरे पर जमकर हमलावर नज़र आ रहे हैं। दोनों नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर इतना बढ़ गया कि माहौल गरमा गया। इसी बीच रायबरेली से कांग्रेस सांसद के.एल. शर्मा भी चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अपनी बात रखते दिखे और मंत्री के आरोपों का जवाब दिया।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन, जिले में विकास कार्यों की रफ्तार और स्थानीय स्तर पर उपेक्षा को लेकर सवाल उठे। राहुल गांधी ने कई परियोजनाओं में देरी पर सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया। इस पर मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर पिछली सरकारों की लापरवाही का आरोप जड़ दिया। इसी मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच बहस तेज होती चली गई।
राहुल गांधी ने कहा कि विकास कार्यों का लाभ जनता तक नहीं पहुंच रहा है और अफसरशाही के साथ-साथ राजनीतिक दबाव से योजनाएँ अटक रही हैं। वहीं, मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने जवाब में कहा कि भाजपा सरकार ने रायबरेली में अभूतपूर्व काम किए हैं और कांग्रेस का आरोप बेबुनियाद है। इस पर राहुल गांधी ने सीधा पलटवार करते हुए कहा कि “जनता ज़मीनी हकीकत जानती है, रिपोर्ट कार्ड बनाने से विकास नहीं होता।”
कांग्रेस सांसद केएल शर्मा ने भी राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि जिले में कई योजनाएँ आधी-अधूरी हैं और प्रशासन सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रहा है। उन्होंने कहा कि “जनता की वास्तविक समस्याओं को ढककर आंकड़े पेश करना किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है।”
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बैठक में राहुल गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के बीच हुई तीखी नोकझोंक न सिर्फ रायबरेली बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी गूंज पैदा करेगी। रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, जबकि भाजपा लगातार यहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। ऐसे में इस तरह की सार्वजनिक तकरार आने वाले समय में सियासी बहस का बड़ा मुद्दा बन सकती है।

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