– पीड़ित बोली – “पुलिस ने कहा, क्या हमने तुम्हारे थैले का ठेका ले रखा है?”
फर्रुखाबाद, नवाबगंज | सावन के पवित्र महीने में जहां एक ओर श्रद्धालु मंदिरों में भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए उमड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर श्रद्धा और सुरक्षा के नाम पर तैनात पुलिस व्यवस्था की लापरवाही सामने आ रही है।
नवाबगंज स्थित प्राचीन शिव मंदिर पुठरी में सोमवार की सुबह फर्रुखाबाद के मोहल्ला काली देवी निवासी सौरभ अपनी पत्नी मुस्कान के साथ जलाभिषेक करने पहुंचे, लेकिन मंदिर परिसर में उनके साथ जो हुआ, वह व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
सौरभ और मुस्कान जब मंदिर की मठिया के अंदर जल चढ़ा रहे थे, उसी दौरान किसी अज्ञात व्यक्ति ने मुस्कान के थैले में कट मारकर उसका पर्स चोरी कर लिया।
पीड़िता मुस्कान ने बताया कि पर्स में 3500 रुपए नकद और जरूरी दस्तावेज रखे थे।
मंदिर में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से जब सौरभ और मुस्कान ने शिकायत की तो उन्हें सहायता देने के बजाय ताने सुनने को मिले।
पुलिसकर्मियों ने पीड़िता से कहा:
“क्या हमने तुम्हारे थैले का ठेका ले रखा है? जल चढ़ाओ और घर जाओ।”
इस असंवेदनशील व्यवहार से दुखी होकर जब पीड़िता ने चोर की तलाश करने को कहा, तो पुलिसकर्मी कुर्सी से भी नहीं उठे।
यहां तक कि कहा गया,
“यहां से जाओ, अपना पर्स खुद ढूंढो जाकर।”
सूत्रों के अनुसार, थानाध्यक्ष उस समय मंदिर परिसर में मौजूद नहीं थे। पीड़ित परिवार का कहना है कि यदि थानाध्यक्ष मौके पर होते, तो शायद चोरी की यह घटना न होती या तुरंत कार्रवाई होती।
यह घटना मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच हुई, जहां सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात था, लेकिन उनका व्यवहार शिथिल, असंवेदनशील और लापरवाह था।
मंदिर में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी कुर्सियों पर आराम फरमाते रहे, जबकि पीड़ित शिकायत करती रही।
इस घटना ने साफ कर दिया है कि सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ कागजों और आदेशों में है, ज़मीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है।
श्रद्धालु जो आस्था लेकर मंदिर पहुंचते हैं, अगर वहां भी उनकी जेब कट जाए और उन्हें ही दोषी बना दिया जाए, तो आमजन का पुलिस पर से विश्वास कैसे कायम रहेगा?
“श्रद्धा और सुरक्षा के बीच अगर पुलिस का व्यवहार ही अपमानजनक हो, तो भक्त कहां जाए?”