रेलवे रोड स्थित प्रतिमा स्थल पर सुबह से ही लगा जमावड़ा, अभिव्यंजना ने किया माल्यार्पण
फर्रुखाबाद। छायावादी युग की प्रतिनिधि कवियत्री पद्म विभूषण महीयसी महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि के मौके पर नगर की प्रमुख साहित्यिक संस्था अभिव्यंजना के बैनर तले कार्यक्रम का आयोजन रेलवे रोड स्थित महादेवी वर्मा के प्रतिमा स्थल पर हुआ। शहर के गणमान्य नागरिकों और साहित्यकारों ने प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर साहित्य की देवी की प्रतिमा को माला अर्पण कर साहित्य जगत को प्रतिभा से अभिषिक्त करने प्रर्थना की।
बताते चलें की अभिव्यंजना के विशेष प्रयासों से रेलवे रोड पर मूर्ति की स्थापना अब से लगभग दो दशक पहले हुई थी तब से लगातार लगातार यह कार्यक्रम उनकी पुण्यतिथि पर होता चला रहा है। इसी क्रम में संस्था के वरिष्ठ सदस्य व्यापारी नेता संजय गर्ग के संयोजन एवं संस्था के समन्वयक भूपेंद्र प्रताप सिंह के निर्देशन में माल्यार्पण कार्यक्रम हुआ जिसमें दिल्ली के साहित्यकार रजनीकांत शुक्ला मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। श्री शुक्ल ने महीयसी के जीवन जीवन व और साहित्यिक सेवाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वे साहित्य की प्रकाश स्तंभ है और सदियों तक अपने प्रकाश से नई पीढ़ी को प्रकाशित करती रहेगी। कार्यक्रम के संयोजक संजय गर्ग ने आए हुए सभी लोगों के प्रति आभार जताया और भविष्य में भी सहयोग करने की कामना की।
इस अवसर पर वरिष्ठ गजलकार नलिन श्रीवास्तव, कवि एवं मंच संचालक महेशपाल सिंह उपकारी, संस्कार भारती के पार्टी महामंत्री सुरेंद्र पांडेय, भारत विकास परिषद के प्रांतीय महामंत्री आलोक रायजादा, कवि एवं पत्रकार उपकार मणि उपकार, राजेश हजेला , निमिष टंडन, व्यापार मंडल महिला जिलाध्यक्ष प्रीति पवन तिवारी, भाजपा महिला मोर्चा के अध्यक्ष बबिता पाठक, प्रीति रायजादा, प्रभात भांती, रवींद्र भदौरिया, वरिष्ठ व्यापारी विनय अग्रवाल, संजू शर्मा, नवीन मिश्रा नब्बू ,राम मोहन शुक्ला , आलोक मिश्रा, छोटू, अनुभव सारस्वत, समेत अनेक सुधीजन मौजूद रहे।
कल भी दुखी थीं , आज भी दुखी हैं महादेवी वर्मा….
फर्रुखाबाद। विश्व साहित्य में भारत का नाम रोशन करने वाली मासी महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर भी उनकी प्रतिमा स्थल की साफ सफाई की व्यवस्था प्रशासन या नगर पालिका की ओर से नहीं कराई गई। इस मौके पर सुबह 9:00 बजे प्रतिमा स्थल पर हुए माल्यार्पण कार्यक्रम में भी किसी भी प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ जबकि आयोजकों ने अधिकारियों को आमंत्रित किया था।
यहां तक की शहर में लगभग एक सैकड़ा के गरीब साहित्यकार हैं बबलू जिसके मुट्ठी भर लोगों ने ही माल्यार्पण करके महादेवी को नमन निवेदित किया। स्वनामधन्य साहित्यकार जिन्हें प्रदेश सरकार की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है बच्चे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई जब भी महादेवी का नाम लेकर सारे देश भर में मंचों पर और अन्यत्र स्थान पर देश-विदेश में अपनी दाग जमाने का यह लोग काम करते हैं लेकिन पुण्यतिथि पर 10 मिनट का वक्त उन्हें नहीं मिल सका जो माल्यार्पण में भी भागीदारी कर ली होती। ऐसा भी नहीं है कि बहुत दूर से कहीं आना जाना था ऐसे दो व्यक्ति जो सरकार द्वारा सम्मानित किए गए हैं। प्रतिमा स्थल के आसपास ही निवास करते हैं लेकिन उन्होंने अपने घरों से बाहर निकलना तक उचित नहीं समझा। उन्हें भी छोड़ दे तो साहित्य के नाम पर अपना जीवन समर्पित कर देने वाले लोग भी माल्यार्पण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। नगर में दर्जनों के तादाद में साहित्यिक संस्थाए संस्थाएं गठित हैं लेकिन उन सभी का प्रतिनिधित्व भी इस मौके पर नहीं हो सका और ना ही पटना स्थल की साफ सफाई हुई तो ऐसा लगा कि जैसे जीवन भर दुख की बदलियों में रहने वाली महादेवी वर्मा आज भी दुखी हैं। गनीमत है कि अभिनंदन जैसी संस्थाएं उनकी याद को ताजा बनाए हुए हैं वरना विश्व साहित्य में फर्रुखाबाद और भारत को पहचान दिलाने वाली कवियत्री अपनी जन्मस्थली पर अपनी पहचान खो चुकी होतीं।