धार। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) कारखाने के रासायनिक कचरे के धार जिले के पीथमपुर में निष्पादन संबंधी प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे को लेकर दायर याचिका के निपटारे के बाद प्रारंभ कर दी गयी है। अब माना जा रहा है कि “ट्रॉयल रन” के तहत आज से कचरा जलाने का काम प्रारंभ होगा।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पीथमपुर की ‘रामकी एनवायरो फैक्ट्री’ परिसर में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर से कुछ समय पहले भेजा गया 337 मीट्रिक टन कचरा रखा हुआ है। राज्य उच्च न्यायालय पहले ही दस दस मीट्रिक टन कचरा 27 फरवरी यानी से तीन चरणों में जलाने के आदेश दे चुका है। इन चरणों के दौरान 135 किलोग्राम प्रति घंटे से लेकिर 270 किलोग्राम प्रति घंटे तक कचरा जलाया जाएगा।
कचरा जलाने संबंधी तकनीकी जानकारियां या नतीजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे और इसी आधार पर आगे के क्रम में कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया को लेकर निर्णय लिया जाएगा। माना जा रहा है कि एक बार में दस मीट्रिक टन कचरा जलाने में 70 से लेकर 100 घंटे तक लग सकते हैं। इस मामले में राज्य उच्च न्यायालय में सुनवायी 27 मार्च को निर्धारित है।
सूत्रों ने कहा कि पीथमपुर में प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर सुरक्षा संबंधी आवश्यक प्रबंध किए हैं। पुलिस के सैकड़ों जवानों को तैनात किया गया है। इसके अलावा प्रशासन ने लोगों से किसी भी प्रकार की अफवाह नहीं फैलाने के लिए कहा है। प्रशासन के अधिकारी पिछले कुछ दिनों से शिविर आदि के माध्यम से कचरा निष्पादन के संबंध में लगातार आम लोगों तक जानकारियां पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस बीच उच्चतम न्यायालय ने कचरा निष्पादन के संबंध में दायर याचिका का कल निपटारा कर दिया। याचिका में याचिकाकर्ताओं की ओर से कुछ आपत्तियां लगायी गयी थीं। सरकार की ओर से पेश की गयीं जानकारियों का भी उच्चतम न्यायालय ने अवलोकन किया और फिर याचिका खारिज कर दी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह मामला मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और यदि याचिकाकर्ताओं को कोई तथ्य या आपत्ति दर्ज कराना है, तो उच्च न्यायालय में करा सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय की ओर से याचिका खारिज होने के बाद पीथमपुर में पहले ट्रॉयल रन की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी। आवश्यक सावधानियों के साथ विशेषज्ञों की देखरेख में भट्टी चालू करने की प्रक्रिया के बाद आज कचरा जलाने का काम शुरू होगा। भट्टी का तापमान आठ सौ डिग्री से अधिक ले जाने का प्रयास किया जाएगा।
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात्रि में जहरीली गैस मिथाइल आइसो सायनेट (मिक) के रिसाव के कारण आसपास के हजारों लोगों की मौत हो गयी थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। यह विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी में से एक मानी जाती है। कई एकड़ क्षेत्र में फैली फैक्ट्री इस हादसे के बाद से ही बंद पड़ी है। लेकिन कई टन रासायनिक कचरा इसमें पड़ा हुआ था। काफी लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पिछले दिनों यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर से 337 मीट्रिक टन कचरा कई कंटेनर में भरकर पीथमुपर स्थित ‘रामकी एनवायरो फैक्ट्री’ परिसर में पहुंचाया गया है। इस फैक्ट्री में विभिन्न फैक्ट्रियाें के खतरनाक माने जाने वाले रासायनिक कचरे को नष्ट किया जाता है। यूनियन कार्बाइड का कचरा भी यहीं पर नष्ट करने का निर्णय हुआ है।