अखिलेश यादव ने उठाए सवाल,संदीप यादव पर गुंडा एक्ट का नोटिस
प्रयागराज: संगम की रेती पर आयोजित होने वाले माघ मेले को लेकर सियासी और प्रशासनिक टकराव खुलकर सामने आ गया है। माघ मेले में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) स्मृति सेवा संस्थान को आवंटित भूमि का आवंटन निरस्त करने की तैयारी मेला प्रशासन कर रहा है, वहीं संस्था के प्रबंधक और सपा नेता संदीप यादव के खिलाफ उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। पुलिस की ओर से उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया है, जिससे सपा खेमे में नाराजगी और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
पूरा मामला एक जनवरी को प्रस्तावित शिविर उद्घाटन से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक, एक जनवरी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय द्वारा मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान के शिविर का उद्घाटन किया जाना था। इससे पहले ही मेला प्रशासन और पुलिस हरकत में आ गई। मेला प्रशासन ने संस्थान को आवंटित भूखंड पर कारण बताओ नोटिस चस्पा कर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि सुविधा पर्ची में दर्ज शर्तों के विपरीत मेला क्षेत्र में गैर-धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों की तैयारी की जा रही है।
प्रशासन का कहना है कि महाकुंभ के दौरान संस्था को भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन माघ मेले के लिए विधिवत आवंटन नहीं होने के बावजूद 24 दिसंबर को संस्था के अध्यक्ष संदीप यादव के नेतृत्व में मेला कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। आरोप है कि इस दौरान पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद दबाव में आकर मेला प्रशासन ने भूखंड आवंटित कर सुविधा पर्ची जारी की थी। 30 दिसंबर को नेता प्रतिपक्ष के निजी सचिव आर.एस. यादव ने जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और एसपी मेला को पत्र भेजकर एक जनवरी को दोपहर एक बजे शिविर उद्घाटन की सूचना दी, जिसके बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया।
इसी क्रम में अपर पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट की अदालत में वाद संख्या 567 के तहत संदीप यादव उर्फ सावन उर्फ मोर्चा को गुंडा एक्ट के अंतर्गत निरुद्ध किए जाने का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में आशंका जताई गई है कि माघ मेले के दौरान वे आम लोगों को उकसाकर माहौल खराब कर सकते हैं। साथ ही उन्हें अभ्यस्त अपराधी बताते हुए कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई भी व्यक्ति गवाही देने का साहस नहीं करता।
दूसरी ओर, संदीप यादव ने प्रशासन के सभी आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान उनके संस्थान ने हजारों श्रद्धालुओं की सेवा की थी और माघ मेले में भी उनका उद्देश्य केवल सेवा कार्य करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि मेला प्रशासन और पुलिस जानबूझकर उन्हें परेशान कर रही है। अपर मेलाधिकारी दयानंद प्रसाद ने स्पष्ट किया है कि संस्था से जवाब मांगा गया है और यदि तय समय में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो भूमि आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा।
इस पूरे प्रकरण को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए। अखिलेश यादव ने लिखा कि जब पिछले वर्ष महाकुंभ में श्रद्धेय नेताजी की मूर्ति स्थापना के लिए स्थान दिया गया था, तो इस वर्ष माघ मेले में उसी संस्थान पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नियमों का भ्रामक हवाला देने वाले यह बताएं कि सत्ता के अहंकार की आग पर दंभ की रोटी सेंकना किस नियम में लिखा है।
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद मामला और तूल पकड़ता दिख रहा है। सपा नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है और इससे पीडीए समाज आहत हुआ है। वहीं प्रशासन का दावा है कि माघ मेले की गरिमा और नियमों का पालन सुनिश्चित करना उसकी प्राथमिकता है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि संस्थान के जवाब के बाद प्रशासन क्या अंतिम फैसला लेता है।


