– शहरी क्षेत्रों में शामिल ग्राम पंचायतों की स्थिति बदलेगी, 5 जून तक मांगे गए प्रस्ताव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष अप्रैल-मई में प्रस्तावित पंचायत चुनाव की तैयारियों को लेकर शासन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में नगर निकायों, नगर पंचायतों व नगर पालिकाओं में शामिल हो चुके ग्राम पंचायतों और राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित राजस्व ग्रामों की स्थिति को स्पष्ट किया जाएगा। इस संबंध में 5 जून तक प्रस्ताव मांगे गए हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2021 के पंचायत चुनावों के बाद प्रदेश में कई गांव शहरी निकायों में शामिल कर दिए गए थे। साथ ही कई नए राजस्व ग्राम भी अधिसूचित हुए हैं। इन सबकी स्थिति को अद्यतन कर उन्हें पंचायत चुनाव के लिए योग्यता के अनुसार चिह्नित किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार करीब 1000 ऐसे ग्राम हैं जो अब नगर निकाय क्षेत्रों में सम्मिलित हो चुके हैं। इनकी ग्राम पंचायत की हैसियत अब नहीं रही। इसके अलावा करीब 1000 नए राजस्व ग्रामों का भी सृजन हुआ है, जिनकी स्थिति का मूल्यांकन किया जा रहा है।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो पंचायतों की पुनर्गठन प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होगी। यह समिति जिलों से प्राप्त प्रस्तावों और दस्तावेजों के आधार पर ग्राम पंचायतों की नई संरचना तय करेगी।
शासन ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल किसी भी नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत के सीमा विस्तार और नई नगर पंचायतों के गठन पर रोक लगाई गई है, जिससे पंचायत चुनाव में भ्रम की स्थिति न बने।
राजस्व ग्रामों की स्थिति में बदलाव होने से पंचायतों का पुनर्गठन जरूरी होगा। इसके साथ ही पंचायतों की सीटों की संख्या, आरक्षण और चुनाव चिह्न तय करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। शासन का उद्देश्य है कि दिसंबर तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
पंचायतों का कार्यकाल वर्ष 2026 में समाप्त होगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार समय से चुनाव कराना अनिवार्य है। ऐसे में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया अगले वर्ष अप्रैल-मई तक पूरी कर लिए जाने की संभावना है।


