प्रभू की भक्ति,संतो का सत्संग ही सुख की कुंजी

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फर्रुखाबाद। पंडाबाग में मानस सम्मेलन के में विद्वानों ने कहा कि सुख प्राप्त करने के लिए प्रभू की भक्ति,संतो का सत्संग,धर्म की कथाओं से संभव है।
पंडाबाग के सत्संग भवन में मानस संयोजक डॉ रामबाबू पाठक के संयोजन में दतिया मध्यप्रदेश से पधारी मानस कोकिला श्रीमती संध्या दीक्षित ने कहा कि वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति सुख चाहता है पर किसी की सुनना नहीं चाहता है।इस संसार में सुख प्राप्त करने के लिए प्रभू की भक्ति,संतो का सत्संग,सनातन धर्म की कथाओं का श्रवण करे।भक्ति में त्यागतपस्या,साधना संतो का सत्संग अति आवश्यक है।दुर्ग,छत्तीसगण से पधारे मानस विद्वान पीलाराम शर्मा ने राजा जनक के ज्ञान की पराकाष्ठा और शबरी की भक्ति के द्वारा प्रभु श्रीराम,लक्ष्मण दोनो भाइयों के दर्शन से परम सुख की व्याख्या की।
लखनऊ से पधारी मानस कोकिला श्रीमती सुष्मिता राय ने भजन एवं लोकगायिका ने चित्रकूट धाम की महिमा और राम कथा मंदाकिनी की धारा में जीवन का कल्याण कैसे हो मनो वैज्ञानिक ढंग से व्याख्या की। उन्होंने ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन गीत प्रस्तुत करके लोगों को घूमने पर मजबूर कर दिया। मानस के संयोजक डॉ रामबाबू पाठक ने राम गमन प्रसंग पर माता सुमित्रा और पुत्र लक्ष्मण, श्रीराम, सीता और माता केकेई के जीवन की कथा,व्यथा को स्पष्ट किया।संचालन पंडित रामेंद्रनाथ मिश्रा ने किया। तबले पर संगत नंदकिशोर पाठक ने की।
इस मौके पर अशोक रस्तोगी,आलोक गौड़,सुरजीत पाठक बंटू,ज्योतिस्वरूप अग्निहोत्री, सर्वेश अवस्थी अदभुतपाठक,आदित्य,वरुण,सचिन सहित कई लोग मौजूद रहे।

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