फर्रुखाबाद: शासन के निर्देश पर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पं. अटल बिहारी वाजपेयी (former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee) के जन्मशती वर्ष के अंतर्गत सोमवार को मेजर एस.डी. सिंह विश्वविद्यालय (Major SD Singh University) के सभागार में काव्यपाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अटल जी की कविताओं के माध्यम से राष्ट्रभक्ति और साहित्यिक भावना को अभिव्यक्त किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रंगनाथ मिश्र, कुलसचिव रणजीत सिंह तथा विधि संकाय के डीन डॉ. राजपाल सिंह ने माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कुलपति डॉ. मिश्र ने कहा कि अटल जी केवल एक सशक्त राजनेता नहीं, बल्कि संवेदनशील कवि और ओजस्वी वक्ता थे। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति, मानवीय संवेदनाएँ और जीवन के गहरे दर्शन झलकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों को साहित्य और संस्कृति से जोड़ने का कार्य करते हैं।
कुलसचिव रणजीत सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व भारतीय राजनीति की मर्यादा और आदर्शों का प्रतीक था। उन्होंने राष्ट्रहित को सदैव सर्वोपरि रखा और जनसेवा को जीवन का उद्देश्य बनाया।
इस अवसर पर विधि संकाय के डीन डॉ. राजपाल सिंह ने अटल जी की प्रसिद्ध कविता “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा” का भावपूर्ण पाठ किया। उन्होंने उनकी अन्य रचनाओं का भी पाठ कर उनके गहरे अर्थों की व्याख्या की। विद्यार्थियों ने भी अटल जी की कविताओं से प्रेरित अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिससे सभागार देर तक तालियों की गूंज से गूंजता रहा।
डॉ. राजपाल सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार 25 दिसम्बर 2024 से 25 दिसम्बर 2025 तक जन्मशती वर्ष मनाया जा रहा है। इसी श्रृंखला में विश्वविद्यालय में अटल जी की 51 प्रसिद्ध कविताओं का काव्यपाठ आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजपाल सिंह ने किया जबकि आभार ज्ञापन इंजीनियरिंग फैकल्टी के डीन डॉ. निखिल श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर डीन प्रो. शेरीन पी. एलेक्स, डॉ. अम्बरीश कुमार बाथम, डॉ. बिन्दु राठौर, डॉ. ललित यादव, डॉ. बी.के. सिंह, बिनायक किन्नल, उपकुलसचिव मानवेंद्र सिंह, सहायक कुलसचिव संजय कुमार, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अरुण कुमार शुक्ला और चीफ प्रॉक्टर डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह सहित विश्वविद्यालय के कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।


