चंडीगढ़ / नई दिल्ली: हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी य. पुरन कुमार (IPS Puran Kumar) के कथित आत्महत्या (7 अक्टोबर) के सात दिन बाद भी उनका पोस्टमॉर्टम विवादों के कारण स्थगित है और मामले ने देश भर में राजनीतिक व सामाजिक तूफान खड़ा कर दिया है। मंगलवार सुबह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष Rahul Gandhi पीड़ित परिवार से मिलने चंडीगढ़ पहुँचे और परिवार को सांत्वना देते हुए राज्य सरकार से तत्काल और कड़ा कदम उठाने की अपील की।
परिवार ने प्रशासन के कुछ कदमों पर सवाल उठाते हुए पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार के निर्णय रोक दिए हैं। परिवार का कहना है कि वे तब तक पोस्टमॉर्टम या अंतिम संस्कार के बारे में सहमति नहीं देंगे जब तक आरोपी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई और गिरफ्तारी शुरू नहीं होती। इस बात ने प्रशासन और पारिवारिक पक्ष के बीच गतिरोध पैदा कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पारिवारिक विरोध के बाद पोस्टमॉर्टम और बॉडी हैंडलिंग को लेकर तीखी नोकझोंक भी हुई।
राहुल गांधी “यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं, संदेश करोड़ों दलितों को जा रहा है” परिजनों से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि यह मामला किसी एक परिवार तक सीमित नहीं है बल्कि देश के दलित समुदाय के लिए एक भयावह संदेश भेज रहा है — कि कोई कितना भी सफल और काबिल क्यों न हो, अगर वह दलित है तो उसे दबाया जा सकता है। राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि पुरन कुमार पर वर्षों से व्यवस्थित भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना की गई। उन्होंने प्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री से त्वरित कार्रवाई की मांग की।
सरकार ने उठाए प्रशासनिक कदम DGP को छुट्टी पर भेजा गया, अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया मामले की गंभीरता के बीच हरियाणा सरकार ने कार्रवाई करते हुए राज्य के DGP शत्रुजीत कपूर / शतृजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है और उनके अतिरिक्त कार्यभार के लिए ओम प्रकाश सिंह / ओपी सिंह को जिम्मा सौंपा गया है। इस कदम को राजनीतिक दबाव और विरोध के मद्देनजर उठाया गया कदम माना जा रहा है। वहीं परिवार व विपक्ष का कहना है कि यह केवल प्रशासनिक फेरबदल ही पर्याप्त नहीं होगा आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होनी चाहिए।
कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि पुलिस ने शव को बिना परिवार की पूरी सहमति के पीजीआईएमईआर जैसे संस्थान में पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया जिस पर परिवार ने सवाल उठाए और अधिकारियों के व्यवहार की निंदा की। परिवार की ओर से यह तर्क भी सामने आया कि बॉडी को लेकर जल्दबाजी और ‘अनादरपूर्ण’ तरीके से कार्यवाही की गई। प्रशासन ने कहा कि जांच और वैधानिक प्रक्रिया के लिए कुछ कदम जरूरी थे, लेकिन पारिवारिक भावनाओं का सम्मान भी किया जाएगा।
कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने मामले को सामाजिक–नैतिक संकट बताते हुए हरियाणा सरकार पर सख्त शब्दों में हमला किया है।
बहुजन समाज पार्टी (BSP) व बच्चों/दलित अधिकार संगठनों ने व्यापक विरोध और राज्यव्यापी agitation की चेतावनी भी दी है अगर आरोपियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई। कुछ राज्यों के नेता व मंत्रियों ने भी पीड़ित परिवार से संवेदना व्यक्त की और मामले की स्वतंत्र जांच की मांग उठाई। परिवार ने साफ कहा है कि वे तभी शांति से आगे बढ़ेंगे जब जिन वरिष्ठ अधिकारियों का नाम कथित सुसाइड नोट में आया है, उनके खिलाफ FIR दर्ज कर विधिक कार्रवाई शुरू की जाएगी और आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। परिवार विशेषकर यह भी मांग कर रहा है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो तथा केंद्रीय अनुसंधान एजेंसी (या निष्पक्ष तटस्थ फॉरेंसिक टीम) से पोस्टमॉर्टम/जांच कराई जाए ताकि किसी तरह की संदेहास्पद कसर न रहे।
य. पुरन कुमार की मृत्यु की घटना ने व्यापक सार्वजनिक और राजनीतिक ध्यान आकर्षित किया है; परिवार ने पोस्टमॉर्टम पर आपत्ति जताई है और अंतिम संस्कार के निर्णय रोक रखे हैं। राहुल गांधी ने परिवार से मुलाकात कर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से निष्पक्ष व त्वरित कार्रवाई की अपील की। सरकार ने DGP को छुट्टी पर भेजा और ओपी सिंह को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा; पर विपक्ष और पीड़ित परिवार इससे संतुष्ट नहीं दिख रहे।


