फर्रुखाबाद: पापियापुर, धन्सुआ और आसपास के गांवों में पंचायत स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार (corruption) की एक बेहद दर्दनाक कहानी सामने आई है। यहां के ग्राम पंचायत सचिव ऋषिपाल जोक और अधीनस्थ सहायक पंचायत कर्मियों पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र (Birth-Death Certificate) जैसी मूलभूत सेवाओं के लिए भी अवैध धन वसूली कर रहे हैं। जब तक पैसा और “बंदरबांट” न हो जाए, तब तक कोई भी काम नहीं किया जाता — फिर चाहे वह व्यक्ति अमीर हो या गरीब।
मार्च माह से एक गरीब महिला, जिसका पति विकलांग है, अपने दो छोटे बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लगातार प्रयासरत है। उसका एक बच्चा करीब डेढ़ साल का है, जो उसकी गोद में रहता है, जबकि दूसरा बच्चा चार साल का है और अपनी मां के साथ पैदल चलता है। पीड़ित महिला ने बताया कि पंचायत कर्मियों ने ₹700 की वसूली की, फिर भी अब तक जन्म प्रमाण पत्र नहीं बने। वह लगातार सचिव ऋषिपाल जोक के पास जाती रही।
इस तरह से एक गरीब, असहाय महिला हर हफ्ते 7 किलोमीटर का पैदल सफर करती है, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिलती। उसके पास रोजी-रोटी की भी व्यवस्था नहीं है, फिर भी वह अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना देख रही है। इस पूरे प्रकरण में ग्राम प्रधान की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पीड़िता ने कई बार प्रधान से भी मदद मांगी, लेकिन उसे कोई समर्थन नहीं मिला।
उसका सवाल है “क्या गरीब का कोई हक नहीं है? क्या बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवाना भी अब घूस के बिना संभव नहीं?”
जिन सहायक पंचायत कर्मचारियों पर अवैध वसूली और काम में लापरवाही के आरोप लगे हैं, उनमें प्रमुख रूप से सहायक पंचायत निनौआ धर्मवीर बाथम, सहायक पंचायत पापियापुर लाखन सिंह के नाम सामने आए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। हर प्रमाण पत्र, हर काम — सब पैसे के लिए अटका रहता है। अगर कोई गरीब व्यक्ति बिना रिश्वत के काम करवाना चाहे तो उसे महीनों चक्कर काटने पड़ते हैं।