– ‘बहनजी’ की एंट्री से बदल सकता है सत्ता का समीकरण, विपक्ष में खलबली!
शरद कटियार
दिल्ली: देश की राजधानी में एक बार फिर से सियासी तापमान तेजी से चढ़ रहा है। सूत्रों की मानें तो उपराष्ट्रपति (Vice President) पद के लिए चुनाव (election) की घोषणा इसी हफ्ते की जा सकती है। लेकिन इस बार मामला सिर्फ एक संवैधानिक पद भर का नहीं है, बल्कि यह 2027 की सियासी स्क्रिप्ट का पहला अध्याय भी हो सकता है।
भाजपा ने इस बार जातीय समीकरणों और महिला वोट बैंक को साधने के लिए एक चौंकाने वाला मास्टरस्ट्रोक खेलने की तैयारी कर ली है। जानकारी के मुताबिक, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो ‘बहनजी’ मायावती को उपराष्ट्रपति पद के लिए समर्थन दिए जाने की चर्चा ज़ोरों पर है। यदि ऐसा होता है, तो यह भाजपा की ओर से विपक्ष के भीतर बड़ी सेंधमारी मानी जाएगी।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा, मायावती के नाम पर विचार कर रही है ताकि दलित वोट बैंक को मजबूत किया जा सके और विपक्षी गठबंधन को कमजोर किया जा सके। यह कदम समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में एकजुट होने से रोकने के लिए “सियासी चक्रव्यूह” के रूप में देखा जा रहा है।
इधर वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संभावित इस्तीफे को लेकर भी अटकलें तेज हैं, और राजनीतिक गलियारों में इसे आगामी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। इस्तीफा यदि आता है, तो मायने बहुत गहरे होंगे — खासकर यूपी की राजनीति में जहां 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर अब से ही गणित तैयार किया जा रहा है।
इसी दौड़ में एक युवा चेहरे को भी उपराष्ट्रपति पद पर बैठाने की संभावना जताई जा रही है, ताकि भाजपा 2029 की तैयारी अभी से शुरू कर सके। दलित, महिला और युवा — तीनों वर्गों को एक साथ साधने की रणनीति अब खुलकर सामने आ रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा का असली लक्ष्य 2027 में उत्तर प्रदेश फतह और 2029 में केंद्र में सत्ता पुनः प्राप्त करना है। और इसके लिए उपराष्ट्रपति चुनाव को “राजनीतिक ट्रिगर” की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। कांग्रेस और सपा खेमे में इस खबर के बाद बेचैनी बढ़ गई है। यदि बहन जी को भाजपा समर्थन देती है, तो विपक्ष का “एकता मॉडल” भरभरा सकता है। वहीं बसपा के लिए यह एक नई राजनीतिक पुनर्जीवन की शुरुआत हो सकती है।