– छात्रा ने बदला बयान, कहा— “मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ”
– सपा नेता को फ़साने का खेल हुआ उजागर, युवती ने जारी किया विडिओ
फर्रुखाबाद/मैनपुरी: जनपद मैनपुरी (Mainpuri) के भोगांव क्षेत्र में कोचिंग जा रही 24 वर्षीय छात्रा के कथित अपहरण मामले ने अब नया रुख ले लिया है। इस मामले में फर्रुखाबाद के कम्पिल नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन (former chairman) उदयपाल सिंह यादव (Udaypal Singh Yadav) का नाम सामने आने के बाद जहां राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी, वहीं अब युवती के बदले बयान ने मामले को पूरी तरह उलट दिया है।
घटना की शुरुआत भोगांव थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया के पास से हुई, जहाँ 24 वर्षीय छात्रा प्रियंका (काल्पनिक नाम )के अपहरण की सूचना परिजनों द्वारा दी गई थी। आरोप था कि सफेद स्कॉर्पियो में सवार उदयपाल यादव और उनके दो सहयोगी युवती को जबरन उठा ले गए। पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की और छात्रा को लखनऊ से बरामद भी कर लिया।
युवती का बदला बयान— “किसी ने मुझे अगवा नहीं किया”
मामले में बड़ा मोड़ तब आया जब छात्रा ने पुलिस के सामने बयान दिया कि उसके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया गया, और उसे जबरन नहीं ले जाया गया था। युवती ने यह भी स्वीकार किया कि उसने किसी दबाव में या डर के चलते परिजनों से संपर्क नहीं किया।
इस घटनाक्रम के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह पूरा मामला एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा था? सूत्रों के अनुसार, पूर्व चेयरमैन उदयपाल यादव, जो अपने क्षेत्र में सक्रिय, लोकप्रिय और विकासपरक छवि के नेता माने जाते हैं, को राजनीतिक रूप से फंसाने की योजना बनाई गई थी।
कम्पिल नगर पंचायत में उदयपाल यादव का वर्चस्व किसी से छिपा नहीं है। उनके कार्यकाल में क्षेत्र में कई विकास कार्य हुए हैं और वर्तमान में उनकी मां चेयरमैन पद पर हैं। माना जा रहा है कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता कुछ विरोधियों को रास नहीं आ रही थी, और यह प्रकरण उसी असंतोष की परिणति है।
घटना के बाद उदयपाल यादव के समर्थकों में असंतोष था, लेकिन जैसे ही युवती के बदले बयान की सूचना आई, लोगों में संतोष और राहत की लहर दौड़ गई। स्थानीय नागरिकों का कहना है:
“हम उदयपाल जी को वर्षों से जानते हैं। उनका आचरण सदैव सम्मानजनक रहा है। यह सब उनकी छवि धूमिल करने की साजिश थी।”
भोगांव थाना पुलिस ने बताया कि,
“युवती के बयान और परिस्थितियों के अनुसार जांच की जा रही है। अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
हालांकि युवती ने न्यायलय मे कलमबंद व्यान दिए हैं, और अपने व्यानो की वीडिओ भी सोशल मीडिया पर जारी की है।यह मामला न केवल कानूनी प्रक्रिया का विषय है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे लोकप्रिय जनप्रतिनिधियों को राजनीतिक द्वेष का शिकार बनाया जा सकता है। उदयपाल सिंह यादव जैसे जनसेवक, जिन्होंने विकास की राजनीति को प्राथमिकता दी, उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाना न केवल न्याय के साथ खिलवाड़ है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी चिंताजनक संकेत है। अब जब सच्चाई सामने आने लगी है, सवाल यह है कि क्या उन पर झूठा आरोप लगाने वालों पर भी कार्रवाई होगी?


