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Monday, October 27, 2025

दीए बेच रहीं बेटियों के लिए पुलिस बनी सहारा, इंसानियत की लौ ने किया अंधेरे को रोशन।

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कायमगंज/फर्रुखाबाद: कंपिल क्षेत्र के दारापुर गांव की दो बच्चियों (daughters) ने अपने हौसले से यह साबित कर दिया कि सच्ची रोशनी दीए (lamps) से नहीं,इंसान के मन की ताकत और भलमनसाहत से जगती है।कक्षा 8 की अनुष्का और कक्षा 6 की उसकी छोटी बहन प्रियल रविवार को कायमगंज के लोहाई बाजार में मिट्टी के दीए बेच रही थीं। दोनों बहनें पिछले तीन दिनों से बाजार में बैठकर दीए बेच रही थीं ताकि दीपावली पर अपने परिवार की छोटी-छोटी जरूरतें पूरी कर सकें। पिता सुरजीत का निधन एक वर्ष पहले हो गया, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। मां बीमार हैं।

परिवार में चार बहनें व एक छोटा भाई आरव है। फिर भी इन बच्चियों ने हालात के आगे हार नहीं मानी। वे अब भी स्कूल जाती हैं, पढ़ाई करती हैं और अपने भविष्य को उज्जवल बनाने का सपना देखती हैं। दीए बेचना उनका मजबूरी भरा अस्थायी सहारा था, ताकि इस दीपावली उनके घर में भी कुछ मिठास और रोशनी आ सके। गश्त के दौरान जब कोतवाली प्रभारी मोहम्मद कामिल की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने बच्चियों से बात की। बच्चियों की स्थिति जानकर वे भावुक हो गए।

उन्होंने न केवल उनके सारे दीए खरीद लिए बल्कि उनकी मां के लिए साड़ी, बच्चों के कपड़े, मिठाई और कुछ आर्थिक सहायता भी दी। इस पल ने बच्चियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी एक ऐसी मुस्कान जिसमें संघर्ष, सादगी और उम्मीद की चमक थी।दीपावली की यह कहानी हमें यही सिखाती है कि ईश्वर उन्हीं की मदद करता है जो खुद की मदद करने का साहस रखते हैं।

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