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Wednesday, December 31, 2025

कविता: “हौसलों की उड़ान” ना डरना है, ना झुकना है,

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Poem

“हौसलों की उड़ान”
ना डरना है, ना झुकना है,
चलते ही जाना है, रुकना अब नहीं करना है।
मेरी माता-पिता से है हौसला,
मेहनत के आगे हर रंग फीका।
माता-पिता + Teachers का कड़ी संयम,
उनकी Blessing दे मंज़िलें आसान।
कल्पना, चुनौती, सुनियोजित नीतियाँ,
है मेरी प्रेरणा।
सफलता मिलेगी अगर अनुशासन की
न करेंगे उपेक्षा।
अभी पंख फैलाए हैं, उड़ान अभी बाकी है।
Parents का आशीर्वाद और Teachers की शिक्षा
है मेरी साथी।
पूर्ण है मेरा सपना कि राह से चाहे
जितने उतार-चढ़ाव आएं,
आगे बढ़ती रहेगी—
हौसला कभी न होगा कम।
मुझे उड़ने दो,
मुझे उड़ने दो,
अनुभव गगन में उड़ने दो,
मुझे हौसलों से ऊँचा उड़ने दो।
धन्यवाद Teachers का,
उनके efforts, skills, support का,
जिन्होंने मेरे सपनों को दी उड़ान,
मेरी ज़िंदगी में बनकर आए भगवान।
दिशा ठाकुर
हिमाचल प्रदेश

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