प्रयागराज! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के पवित्र संगम में स्नान के बाद महाकुंभ की आध्यात्मिक गरिमा और भव्यता को नई ऊंचाइयां मिलीं। उनके स्नान के बाद लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई, जिससे कुंभ क्षेत्र में भक्तिमय माहौल बन गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने विधि-विधान से पूजन और आचार्यों के सान्निध्य में संगम स्नान किया। जैसे ही उनका स्नान संपन्न हुआ, कुंभ क्षेत्र में मौजूद लाखों श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाने उमड़ पड़े। उनके स्नान को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ऐतिहासिक माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री के आगमन के बाद श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया। लाखों लोगों ने गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, स्नान के इस अवसर पर संगम तट पर श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड तोड़ जमावड़ा देखने को मिला।
प्रधानमंत्री के स्नान के बाद कुंभ की महिमा और भी बढ़ गई। महाकुंभ के इस अलौकिक दृश्य ने पूरे देश में आस्था और भक्ति का संदेश दिया। देश-विदेश के श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने और संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया।
प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनजर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। स्नान घाटों पर पुलिस और विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। साथ ही, सफाई और चिकित्सा सेवाओं का विशेष ध्यान रखा गया, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
प्रधानमंत्री मोदी का यह स्नान न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण रहा। इससे न केवल भारतीय सनातन संस्कृति को बल मिला बल्कि पूरे विश्व को कुंभ की आध्यात्मिक महत्ता का संदेश भी गया।
“हर हर गंगे” के उद्घोष के साथ कुंभ की आस्था अपने चरम पर
प्रधानमंत्री के संगम स्नान ने महाकुंभ की भव्यता में चार चांद लगा दिए। श्रद्धालुओं की अपार भीड़ और संगम में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि कुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का भव्यतम संगम है।