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Monday, August 25, 2025

मन की बात में बोले पीएम मोदी: स्वच्छ भारत मिशन’ 11 वर्षाें में जन-आंदोलन बना

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नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि स्वच्छ भारत मिशन की ताकत और इसकी जरूरत आज भी वैसी ही है और 11 वर्षों में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ एक जन-आंदोलन बन गया है।

श्री मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में आज कहा कि कुछ लोगों को कभी-कभी कोई काम नामुमकिन सा लगता है कि क्या ये भी हो पाएगा? लेकिन, जब देश एक सोच पर एक साथ आ जाए, तो असंभव भी संभव हो जाता है। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जल्द ही इस मिशन के 11 साल पूरे होंगे। लेकिन, इसकी ताकत और इसकी जरूरत आज भी वैसी ही है। इन 11 वर्षों में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ एक जन-आंदोलन बना है| लोग इसे अपना फर्ज मानते हैं और यही तो असली जन-भागीदारी है।

उन्होंने कहा कि हर साल होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण ने इस भावना को और बढ़ाया है। इस साल देश के 4500 से ज्यादा शहर और कस्बे इससे जुड़े और 15 करोड़ से अधिक लोगों ने इसमें भाग लिया। ये कोई सामान्य संख्या नहीं है। ये स्वच्छ भारत की आवाज है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता को लेकर हमारे शहर और कस्बे अपनी जरूरतों और माहौल के हिसाब से अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं| और इनका असर सिर्फ इन शहरों तक नहीं है, पूरा देश इन तरीकों को अपना रहा है।

उत्तराखंड में कीर्तिनगर के लोग, पहाड़ों में कचरा प्रबंधन की नई मिसाल कायम कर रहे हैं। ऐसे ही मेंगलुरु में तकनीक से ऑर्गेनिक कचरा प्रबंधन का काम हो रहा है। अरुणाचल में एक छोटा सा शहर रोइंग है। एक समय था जब यहाँ लोगों के स्वास्थ्य के सामने अपशिष्ट प्रबंधन बहुत बड़ी चुनौती थी। यहाँ के लोगों ने इसकी जिम्मेदारी ली। ‘ग्रीन रोइंग इनिशिएटिव शुरू हुआ और फिर अपशिष्ट पुनर्चक्रण से पूरा एक पार्क बना दिया गया। अहमदाबाद में रिवर फ्रंट पर सफाई ने भी सबका ध्यान खींचा है।

उन्होंने कहा कि भोपाल की एक टीम का नाम है ‘सकारात्मक सोच’। इसमें 200 महिलायें हैं। ये सिर्फ सफाई नहीं करती, सोच भी बदलती हैं। एक साथ मिलकर शहर के 17 पार्कों की सफाई करना, कपड़े के थैले बांटना, इनका हर कदम एक संदेश है। ऐसे प्रयासों की वजह से ही भोपाल भी अब स्वच्छ सर्वेक्षण में काफी आगे आ गया है। लखनऊ की गोमती नदी टीम का जिक्र भी जरूरी है। 10 साल से हर रविवार, बिना थके, बिना रुके इस टीम के लोग स्वच्छता के काम में जुटे हैं।

गोवा के पणजी शहर का उदाहरण भी प्रेरक है। वहां कचरे को 16 श्रेणी में बांटा जाता है और इसका नेतृत्व भी महिलाएं कर रही हैं। पणजी को तो राष्ट्रपति पुरुस्कार भी मिला है। स्वच्छता सिर्फ एक वक्त का, एक दिन का काम नहीं है। जब हम साल में हर दिन, हर पल स्वच्छता को प्राथमिकता देंगें तभी देश स्वच्छ रह पाएगा।

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