गाजियाबाद: डासना जेल में एक नाटकीय जेलब्रेक की कोशिश नाकाम कर दी गई, जब दो पुलिसकर्मियों ने फर्जी अदालती पेशी (fake court summons) पत्र का इस्तेमाल कर जेल (jail) से एक कैदी को छुड़ाने की कोशिश की। इस घटना से स्थानीय पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। पुलिस अधिकारियों ने आज रविवार को इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि, दोनों कांस्टेबलों को गिरफ्तार (arrested) कर लिया गया और उन्हें ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह घटना कल यानी शनिवार को हुई है। गाजियाबाद पुलिस लाइन में तैनात दो कांस्टेबल, सचिन कुमार और राहुल कुमार, कल दोपहर एक निजी कार से डासना जेल पहुँचे। उन्होंने दावा किया कि वे नोएडा में एक कैदी, वंश, को अदालती सुनवाई के लिए ले जाने आए थे। उन्होंने कैदी की पेशी के लिए एक आधिकारिक अदालती आदेश भी पेश किया।
हालाँकि, जेल अधिकारियों को कुछ गड़बड़ियाँ नज़र आईं। उन्होंने बताया कि अदालती आदेश में सिर्फ़ एक नहीं, बल्कि छह कैदियों की पेशी का ज़िक्र था। जब कांस्टेबलों ने सिर्फ़ वंश को ही अपने साथ ले जाने पर ज़ोर दिया, तो जेल कर्मचारियों को शक हुआ। जाँच करने पर पता चला कि ऐसा कोई अदालती आदेश जारी नहीं किया गया था, न ही गाजियाबाद पुलिस लाइन्स से कैदियों को नोएडा ले जाने के लिए कोई सरकारी गाड़ी भेजी गई थी। उस दिन कैदियों को ले जाने के लिए किसी अदालती ड्यूटी का भी कोई रिकॉर्ड नहीं था। अपनी योजना का पर्दाफ़ाश होते देख, दोनों कांस्टेबल मौके से भाग निकले।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने तुरंत एसीपी लाइन्स और डीसीपी सिटी को सूचित किया। औपचारिक जाँच शुरू की गई और उसी शाम कवि नगर थाने में एक एफ़आईआर दर्ज की गई। कल देर रात दोनों कांस्टेबलों का पता लगाकर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। पुलिस सूत्रों ने खुलासा किया कि कैदी वंश, बिसरख का रहने वाला है और उसके खिलाफ नोएडा और गाजियाबाद दोनों जगहों पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
गिरफ्तार किए गए कांस्टेबलों ने कथित तौर पर वित्तीय सौदे के बदले भागने की योजना बनाई थी। राहुल कुमार, जो 2015 में पुलिस बल में शामिल हुए थे, गाजियाबाद पुलिस लाइंस में ‘गन्नादा मुंशी’ (रिकॉर्ड कीपर) के पद पर कार्यरत थे, जबकि सचिन कुमार 2016 में पुलिस में शामिल हुए थे। डीसीपी सिटी धवल जायसवाल और एसीपी लीगी नगायच ने कल रात जाँच का जायजा लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से पुलिस लाइंस का दौरा किया। कांस्टेबलों के कार्यालय के आंतरिक रिकॉर्ड की भी जाँच की गई। दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और साजिश में शामिल किसी अन्य सहयोगी की पहचान के लिए आगे की जाँच जारी है।
डीसीपी जायसवाल ने कहा, “यह विश्वास और कर्तव्य का गंभीर उल्लंघन है। जाँच जारी है और इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” इस मामले ने प्रोटोकॉल में एक चिंताजनक चूक और भ्रष्टाचार के एक संभावित व्यापक नेटवर्क को उजागर किया है। पुलिस दोनों गिरफ्तार कांस्टेबलों से पूछताछ जारी रखे हुए है तथा किसी भी संभावित आंतरिक संलिप्तता की भी जांच कर रही है।