सनातन धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha ) में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि क्रम किए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 17 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru Paksha ) की शुरुआत हो रही है,और 2 अक्टूबर तक चलेगा। पितरों को तृप्त करने के लिए काले तिल, अक्षत मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण में काला तिल और कुश का बहुत महत्व होता है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्व होता है। मान्यता है कि तर्पण के दौरान काले तिल से पिंडदान करने से मृतक को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
धर्म शास्त्रों में पितृ पक्ष (Pitru Paksha ) में पितरों की आत्मा की शांति के लिए कुछ आवश्यक नियमों का पालन करना जरूरी बताया गया है।
इसी के नियमों का पालन करने के लिए इस दौरान खाने पीने की कुछ चीजों का इस्तेमाल शास्त्रों द्वारा वर्जित बताया गया है। पितृपक्ष में लहसुन, प्याज, शराब, सिगरेट और मसालों वाले खाने से बचना चाहिए। पितृपक्ष (Pitru Paksha ) के 15 दिन की अवधि में आपको मांसाहारी खाने से बचना चाहिए।
श्राद्ध कैलेंडर
17 सितंबर मंगलवार, भाद्रपद पूर्णिमा, पूर्णिमा श्राद्ध
18 सितंबर बुधवार, अश्विन कृष्ण प्रतिपदा, प्रतिपदा श्राद्ध
19 सितंबर बृहस्पतिवार, आश्विन कृष्ण द्वितीया, द्वितीया श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार, अश्विन कृष्ण तृतीया, तृतीया श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार, अश्विन कृष्ण चतुर्थी, महा भरणी नक्षत्र, चतुर्थी श्राद्ध
22 सितंबर रविवार, अश्विन कृष्ण पंचमी, पंचमी श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार, अश्विन कृष्ण षष्ठी, षष्ठी श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार, आश्विन कृष्ण सप्तमी, सप्तमी श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार, आश्विन कृष्ण अष्टमी, अष्टमी श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार, अश्विन कृष्ण नवमी, नवमी श्राद्ध
26 सितंबर बृहस्पतिवार, अश्विन कृष्ण दशमी, दशमी श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार, अश्विन कृष्ण एकादशी, एकादशी श्राद्ध
29 सितंबर रविवार, अश्विन कृष्ण द्वादशी, द्वादशी श्राद्ध
29 सितंबर रविवार, अश्विन मघा नक्षत्र, मघा श्राद्ध
30 सितंबर सोमवार, अश्विन कृष्ण त्रयोदशी, त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर मंगलवार, अश्विन कृष्ण चतुर्दशी, चतुर्दशी श्राद्ध
2 अक्टूबर बुधवार, सर्वपितृ अमावस्या, अमावस्या श्राद्ध