महिला सम्मान की कीमत पर राजनीति? धर्म की लड़ाई अब मासिक धर्म तक पहुंची!
– शालीनता का मजाक, महिला सम्मान बन गया राजनीतिक व्यंग्य का शिकार।
– सोशल मीडिया ट्रोलिंग की हद, मासिक धर्म जैसे विषय को बनाया गया राजनीतिक हथियार।
– राहुल गांधी की छवि पर डिजिटल हमला या महिला गरिमा पर चोट? AI इमेज से उठे सवाल
नई दिल्ली /लखनऊ : देश की राजनीति में अब व्यक्तिगत आलोचना और ट्रोलिंग का स्तर ऐसा होता जा रहा है, जिसमें सीमाएं पार कर दी गई हैं। ताजा मामला कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर वायरल हुई एक सेनेटरी पैड की तस्वीर का है, जिसमें उनके चेहरे को पैड के ऊपर एडिट करके दिखाया गया है। सोशल मीडिया पर यह फोटो तेजी से वायरल हो रही है और इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
यह तस्वीर पहली नजर में भ्रामक प्रतीत होती है, लेकिन जब इसकी सच्चाई की पड़ताल की गई, तो यह साफ हुआ कि यह AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) द्वारा जनरेटेड एक एडिटेड इमेज है, जिसे किसी ने राजनीतिक कटाक्ष या ट्रोलिंग के लिए बनाया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की हरकतें न केवल एक नेता की छवि को खराब करने का प्रयास हैं, बल्कि यह महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों – जैसे मासिक धर्म और सैनिटरी हाइजीन – का उपहास भी उड़ाती हैं।
महिलाओं के अधिकार और सम्मान के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस तस्वीर की आलोचना की है। उनका कहना है कि “राजनीतिक मजाक और विरोध का भी एक स्तर होना चाहिए। सेनेटरी पैड जैसे विषय पर इस तरह की तस्वीर बनाना नारी गरिमा के खिलाफ है।”
इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी राजनीति में अब चरित्र हनन और मजाक उड़ाने की प्रवृत्ति इतनी हावी हो चुकी है कि महिलाओं से जुड़े विषयों को भी गंदे मजाक का हिस्सा बना दिया जाए? AI टूल्स के दुरुपयोग से भ्रामक तस्वीरें बनाकर सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाना एक गंभीर मामला बनता जा रहा है। ऐसे मामलों में उचित डिजिटल मॉनिटरिंग और साइबर जागरूकता की आवश्यकता है, ताकि तकनीक का उपयोग समाज को जोड़ने के लिए हो, तोड़ने के लिए नहीं।
लेख प्रकाशन के लिए तैयार समाचार, तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। किसी नेता की छवि को ठेस पहुंचाना उद्देश्य नहीं है, बल्कि वायरल फोटो की सच्चाई सामने लाना ही मुख्य उद्देश्य है।