प्रशांत कटियार
“कलम की स्याही अगर सच्चाई से भरी हो, तो वह तलवार से भी ज्यादा ताक़तवर होती है।”
पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं, बल्कि यह एक पवित्र सेवा, एक अनवरत जुनून और राष्ट्रसेवा का महान साधन है। लोकतंत्र की आत्मा तभी जीवित रहती है जब उसका चौथा स्तंभ ईमानदारी और साहस के साथ खड़ा हो।
“समाज का सच वही देख सकता है, जो निर्भीक होकर उसे दिखाने का साहस रखता है।”
पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह केवल घटनाओं को दर्ज नहीं करती, बल्कि उन्हें इस तरह प्रस्तुत करती है कि समाज अपनी कमियों को सुधारे और अपनी अच्छाइयों से प्रेरणा ले। पत्रकार सत्ता और जनता के बीच वह पुल है जो लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है।
“सेवा वही है, जिसमें स्वार्थ न हो और त्याग अधिक हो।”
पत्रकार का काम केवल खबर देना नहीं, बल्कि समाज के उपेक्षित और वंचित वर्गों की आवाज़ बनना है। जब किसी गाँव की टूटी सड़क की तस्वीर अख़बार में छपती है, जब अस्पताल की बदहाली की रिपोर्ट सरकार को जगाती है, तब पत्रकार समाज की सेवा कर रहा होता है।
“जिसे समाज बदलने का जुनून हो, वही पत्रकारिता का असली सिपाही है।”
पत्रकारिता कोई साधारण नौकरी नहीं, यह चौबीसों घंटे जीने वाली जिम्मेदारी है। आधी रात को भी अगर कहीं अन्याय होता है, तो पत्रकार वहाँ पहुँचता है। न तूफ़ान, न बारिश, न ही खतरे—कुछ भी उसे रोक नहीं सकता। यही जुनून पत्रकारिता को बाकी पेशों से अलग बनाता है।
“राष्ट्र की शक्ति उसकी सेना में नहीं, बल्कि उसके जागरूक नागरिकों में होती है।”
पत्रकारिता सीधे-सीधे राष्ट्रनिर्माण का हिस्सा है। भ्रष्टाचार को उजागर करना, शिक्षा और स्वास्थ्य की कमियों को सामने लाना, आमजन की पीड़ा को सत्ता तक पहुँचाना—यह सब राष्ट्रसेवा ही तो है। एक ईमानदार पत्रकार की कलम राष्ट्र की दिशा और दशा बदल सकती है।
पत्रकारिता का असली चेहरा तभी निखरता है जब उसमें सेवा का भाव, जुनून की आग और राष्ट्रहित की निष्ठा शामिल हो। यही कारण है कि इसे केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित तपस्या कहा जाता है।
“पत्रकारिता वही है, जो जनता की आवाज़ को सत्ता के दरबार तक पहुँचा दे और सच को दबने न दे।”
लेखक, दैनिक यूथ इंडिया के स्टेट हेड हैँ।