लखनऊ। पशुपालन विभाग में बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जहां प्रयागराज में अपर निदेशक ग्रेड-2 रहे डा. कृष्णपाल सिंह पर पशु चिकित्सकों की गोपनीय प्रविष्टि (सीआर) ठीक लिखने के बदले रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में 40 पशु चिकित्सकों ने शपथपत्र के साथ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि डा. कृष्णपाल सिंह द्वारा सीआर में बेहतर प्रविष्टि देने के लिए पैसों की मांग की जाती थी। शिकायत के बाद हुई प्राथमिक जांच में 37 में से 22 चिकित्सकों ने धन मांगने की बात की पुष्टि की है।
शिकायत के अनुसार उप्र पशुचिकित्सा संघ के अध्यक्ष डा. संजीव कुमार सिंह से 50 हजार रुपये की मांग की गई, जबकि डा. उमेश कुमार पटेरिया को घर बुलाकर धनराशि देने का दबाव बनाया गया। आरोप है कि जिन चिकित्सकों ने पैसे देने से इंकार किया, उनकी सत्यनिष्ठा को ‘संदिग्ध’ चिह्नित कर दिया गया, जबकि वे उत्कृष्ट कार्य के लिए सरकारी प्रशस्ति पत्र तक प्राप्त कर चुके थे। इसी तरह शारदा सिंह की प्रविष्टि कथित तौर पर रिश्वत न देने पर दो श्रेणी नीचे कर दी गई।
जांच अपर निदेशक ग्रेड-1, पशु जैविक औषधि संस्थान बादशाहबाग द्वारा कराई गई, जिसकी आख्या 26 सितंबर को विभाग को सौंप दी गई। तीन अक्टूबर को रिपोर्ट प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम को भेजी गई, जिसके आधार पर 15 नवंबर को डा. कृष्णपाल सिंह को नोटिस जारी कर 15 दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
मामले में यह भी सामने आया कि आरोपी अधिकारी ने कई चिकित्सकों की ऑनलाइन प्रविष्टि खराब दिखाकर उनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध की, जबकि बाद में ऑफलाइन प्रविष्टि में सुधार कर दिया गया। इस विसंगति पर प्रमुख सचिव ने आदेश दिया है कि भ्रम की स्थिति को देखते हुए मैनुअल प्रविष्टि को मान्य माना जाए तथा ऑनलाइन प्रविष्टि को अमान्य कर दिया जाए।
विभाग अब आरोपित अधिकारी के स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।





