यूथ इंडिया संवाददाता
नवाबगंज, फर्रुखाबाद। सावन के महीने में शिवभक्त गंगाघाटों से कांवड़ लाकर शिवालयों में अर्पित करते हैं, लेकिन समय के साथ श्रद्धा और पूजा के तरीकों में भी बदलाव आया है। परंपरागत कांवड़ को पीछे छोड़ते हुए अब डाक कांवड़ की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर युवाओं में इसका उत्साह देखा जा रहा है। नगर से लेकर गांव-कस्बों तक डाक कांवड़ की धूम मची हुई है। इस बार कांवड़ यात्रा में डाक कांवड़ की विशेष पहचान बढ़ गई है। पहले जहां पुरुष ही इस यात्रा में शामिल होते थे, वहीं अब महिलाएं, किशोरियां और बच्चे भी इसमें भाग ले रहे हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि डाक कांवड़ से समय की अच्छी खासी बचत होती है। एक दल में लगभग 15 से 20 भक्त शामिल होते हैं। अधिकांश भक्त पांचाल घाट से जल भरते हैं और फिर दौड़ते हुए मंजिल की ओर रवाना होते हैं। एक शिवभक्त के हिस्से में लगभग तीन से चार किलोमीटर की दौड़ आती है। दौड़ते समय जल को एक साथी से दूसरे साथी को सौंपा जाता है, इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि जल खंडित न हो। दल के अन्य सदस्य वाहनों, डीजे या मोटरसाइकिल के माध्यम से आगे बढ़ते रहते हैं।