लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मुख्य सचिव एस.पी. गोयल ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए जिलों में प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए गए हैं। किसानों को पराली प्रबंधन के विकल्पों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को समय से उर्वरक उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी सरकारी समितियां तय समय पर खुलें और हर बिक्री केंद्र पर खाद का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे। किसी स्थान पर स्टॉक कम होते ही तुरंत नई खेप भेजी जाए। जिलाधिकारी इसकी प्रतिदिन समीक्षा करेंगे।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने की हर घटना की सैटेलाइट से निगरानी की जा रही है। जिन जिलों में मामले अधिक हैं, वहां प्रशासन को विशेष अभियान चलाकर किसानों को पराली प्रबंधन के विकल्पों के लिए जागरूक करना होगा। इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कठोर कार्रवाई अनिवार्य होगी।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने गोवंश संरक्षण से जुड़े प्रबंधों की भी समीक्षा की। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 30 बड़े गो-संरक्षण केंद्र स्थापित किए जाने प्रस्तावित हैं, जिसके लिए जिलों को एक-एक हेक्टेयर भूमि चिन्हित कर पशुपालन विभाग को उपलब्ध करानी होगी। हर मंडल में एक मॉडल गौशाला भी बनाई जाएगी। अच्छे कार्य करने वाले एनजीओ को गो-आश्रय स्थलों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
गोशालाओं में कर्मचारियों की उपस्थिति, चारा-पानी और देखभाल की नियमित निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। निराश्रित पशुओं की देखभाल के लिए प्रतिदिन प्रति गोवंश 50 रुपये खर्च का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सड़कों और खेतों में घूम रहे पशुओं को तत्काल आश्रय स्थल पहुंचाया जाए। साथ ही ठंड से बचाव के लिए सभी आश्रय स्थलों पर तिरपाल, बोरे और पुआल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव ने खनन विभाग की समीक्षा करते हुए ईंट भट्ठों से वसूली, उप-खनिज रॉयल्टी और साधारण मिट्टी के आवेदनों के समयबद्ध निस्तारण के निर्देश दिए। खनन वाहनों के जीपीएस सिस्टम को विभागीय पोर्टल से जोड़ने की प्रक्रिया जल्द पूरी करने को कहा गया।
बैठक में कृषि, पशुपालन, सहकारिता, खनन सहित कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।






