पंचायत चुनाव 2026: परिसीमन में 644 क्षेत्र और 15 जिला पंचायत वार्ड घटे,शहरी विस्तार से बदला ढांचा, अप्रैल-मई में होंगे त्रिस्तरीय चुनाव

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इस बार शहरी क्षेत्रों के विस्तार और नगर निकायों के सृजन के चलते बड़ी संख्या में पंचायत वार्ड और ग्राम पंचायतें प्रभावित हुई हैं। पंचायतीराज विभाग के अनुसार प्रदेश में 644 क्षेत्र पंचायत वार्ड, 15 जिला पंचायत वार्ड, तथा करीब 1,700 ग्राम पंचायत वार्ड खत्म हो गए हैं। वहीं 501 ग्राम पंचायतें भी कम हुई हैं।

जानकारी के अनुसार, प्रदेश के जिन जिलों में नगर पंचायतों, नगर पालिका परिषदों और नगर निगमों का गठन या सीमा विस्तार हुआ है, वहां पंचायत सीमांकन में बदलाव हुआ है। इससे कुल 42 जिले प्रभावित हुए हैं, जिनमें लखनऊ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, अलीगढ़, अयोध्या, बरेली, गोरखपुर, वाराणसी, बहराइच, गोंडा, शाहजहांपुर, सीतापुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, मथुरा, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर, देवरिया, इटावा और फतेहपुर सहित प्रमुख जिले शामिल हैं।

उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, पंचायतीराज विभाग ने इन जिलों में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत वार्डों का नए सिरे से सीमांकन पूरा कर लिया है और राज्य स्तर पर इसका डेटा तैयार होने की अंतिम प्रक्रिया चल रही है। विभाग जल्द ही परिसीमन संबंधी अंतिम अधिसूचना जारी करेगा।

पंचायतीराज विभाग के अनुसार, वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव में क्षेत्र पंचायत वार्डों की संख्या 75,844 थी, जो अब घटकर 75,200 रह गई है। इसी तरह जिला पंचायत वार्डों की संख्या 3,030 से घटकर 3,015 हो गई है। ग्राम पंचायतों की संख्या भी 58,195 से घटकर 57,694 रह गई है। इस दौरान कुल 512 ग्राम पंचायतें समाप्त हुईं, जबकि 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का कार्यकाल अगले वर्ष क्रमशः 26 मई, 19 जुलाई और 11 जुलाई 2026 को समाप्त हो रहा है। इसलिए प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2026 के बीच कराए जाने की तैयारी की जा रही है।

राज्य सरकार ने परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर चुनाव आयोग को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद निर्वाचन आयोग वार्डवार आरक्षण और मतदान केंद्रों का निर्धारण करेगा। इस परिसीमन के बाद पंचायत चुनाव में कई पुराने वार्डों का स्वरूप बदल जाएगा और कुछ ग्राम पंचायतें अब शहरी निकायों का हिस्सा बन चुकी हैं, जिससे उम्मीदवारों के समीकरणों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

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