नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने 7 मई की रात पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर चलाकर लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस कार्रवाई में पंजाब प्रांत के मुरीदके स्थित लश्कर का मुख्यालय मरकज तैयबा भी जमींदोज हो गया था। लेकिन अब भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान इस आतंकी अड्डे का पुनर्निर्माण कर रहा है और आने वाले वर्ष 2026 में इसे नए रूप में खड़ा करने की योजना बना रहा है।खुफिया डोजियर के मुताबिक, बीते महीने मुरीदके में मरकज तैयबा के पुनर्निर्माण के लिए भारी मशीनें पहुंचाई गई हैं। 4 सितंबर को उम्म उल कुरा नामक पीले ब्लॉक को गिराया गया और इसके तीन दिन बाद लाल इमारत को भी ढहा दिया गया। बताया जा रहा है कि 5 फरवरी 2026 को कश्मीर एकजुटता दिवस के मौके पर इस नए मुख्यालय का उद्घाटन किया जा सकता है।मरकज के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी लश्कर के निदेशक मौलाना अबू जार और उस्ताद उल मुजाहिद्दीन को सौंपी गई है, जबकि परिचालन निरीक्षण का कार्य कमांडर युनूस बुखारी कर रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार इस परियोजना को पाकिस्तान सरकार का प्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है। अगस्त 2025 में पाक सरकार ने लश्कर को 4 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी थी, जबकि पूरे पुनर्निर्माण पर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।ध्यान देने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के कई हिस्सों में भीषण बाढ़ के हालात हैं, और इसी आपदा को लश्कर-ए-तैयबा धन जुटाने के साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। राहत सामग्री और सहायता के नाम पर एकत्रित राशि सीधे मुरीदके भेजी जा रही है। इससे पहले 2005 के भूकंप के दौरान भी लश्कर ने राहत कार्य के नाम पर अरबों रुपये जुटाए थे, जिसका अधिकांश हिस्सा आतंक के अड्डों के निर्माण में लगाया गया था।यह पूरा घटनाक्रम पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर करता है—एक तरफ वह दुनिया के सामने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का दिखावा करता है, वहीं दूसरी तरफ आतंकी संगठनों को खुलेआम पनाह और सहयोग देता है।
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