– सीमा पर बैरिकेडिंग से लेकर वैश्विक कूटनीति तक चाहिए निर्णायक रणनीति
प्रशांत कटियार
भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच दशकों से चला आ रहा कश्मीर विवाद एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार एक अलग दृष्टिकोण से। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नेता और प्रवक्ता सुधांशु दत्त द्विवेदी ने एक बयान में आशा जताई है कि “शायद पाकिस्तान पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) को अपने आप छोड़ दे।” उनका यह बयान न केवल रणनीतिक संकेत देता है, बल्कि भारत की भविष्य की विदेश नीति और रक्षा नीति के लिए एक निर्णायक सुझाव भी माना जा रहा है।
1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद जब जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत में विलय का निर्णय लिया, तब पाकिस्तान की सेना और कबायलियों ने कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया। इसे ही आज ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ यानी पीओके कहा जाता है। यह लगभग 13,297 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें करीब 40 लाख की आबादी रहती है। भारत की संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि पूरे जम्मू-कश्मीर सहित पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे वापस लिया जाएगा।
क्यों हो सकता है पाकिस्तान POK छोड़ने को मजबूर?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अत्यंत कमजोर स्थिति में है। IMF की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 130 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है। महंगाई दर 35% तक पहुँच चुकी है। ऐसे में सैन्य खर्च और पीओके जैसे क्षेत्र का प्रशासन पाकिस्तान पर अतिरिक्त बोझ है।
पीओके में लगातार शोषण, बेरोजगारी और आधारभूत सुविधाओं की कमी के चलते जनता में असंतोष है। अप्रैल 2024 में हुए प्रदर्शन में 10,000 से अधिक लोगों ने मुज़फ्फराबाद में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान केवल संसाधनों का शोषण कर रहा है, जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति बदतर है।
भारत न केवल सैन्य दृष्टि से सशक्त हुआ है, बल्कि वैश्विक मंचों पर उसकी स्थिति भी सुदृढ़ हुई है। भारत 2024 में G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर चुका है, और अमेरिका, फ्रांस, रूस सहित कई देश भारत को एक स्थिर लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति मानते हैं। सुधांशु द्विवेदी ने अपने बयान में सुझाव दिया कि “पूरे भारत-पाक सीमा पर बैरिकेडिंग कर दी जाए।” यह सुझाव सुरक्षा दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की पाकिस्तान के साथ कुल सीमा 3,323 किलोमीटर है, जिसमें से 742 किमी नियंत्रण रेखा (LoC) कहलाती है।
भारत ने पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पहले ही बैरिकेडिंग कर दी है, लेकिन LoC पर यह चुनौतीपूर्ण है। फिर भी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकता है। भारत की रणनीति केवल सैन्य नहीं, कूटनीतिक भी होनी चाहिए। वर्ष 2025 में भारत को UNSC की अस्थायी सदस्यता भी मिल चुकी है। ऐसे में भारत यदि पीओके को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में ठोस दस्तावेज और मानवाधिकार हनन की रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, तो पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा सकता है।
संभावित रणनीति:
पाकिस्तान की आर्थिक विफलताओं को उजागर करना। POK में मानवाधिकार हनन पर संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा उठाना। प्रवासी कश्मीरी समुदायों को जागरूक कर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लामबंद करना। प्रबुद्ध वर्ग का यह कथन—“शायद पाकिस्तान पीओके को अपने आप छोड़ दे”—सिर्फ एक आकांक्षा नहीं बल्कि रणनीतिक भविष्य की झलक है। भारत को इस अवसर का लाभ उठाते हुए रक्षा, कूटनीति, और तकनीकी स्तर पर ऐसी तैयारी करनी होगी जिससे जब भी स्थिति बने, भारत पीओके को संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत अपना पूर्ण हिस्सा बना सके। भारत को एकजुट संकल्प और व्यावहारिक रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा—”एक राष्ट्र, एक सीमा, एक संविधान” की भावना के साथ।
जय हिंद।
लेखक यूथ इंडिया के स्टेट हेड है।
प्रशांत कटियार