कई देशों में डॉ. शाहीन ने बनाया था ‘आतंकी डॉक्टरों’ का नेटवर्क, पाकिस्तान और कश्मीर में था गढ़

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लखनऊ| दिल्ली और देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर बड़े आतंकी हमलों की साजिश रच रहे जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद मॉड्यूल की सरगना डॉ. शाहीन का पाकिस्तान समेत कई देशों में फैला नेटवर्क सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मचा हुआ है। जांच में पता चला है कि डॉ. शाहीन ने पाकिस्तान की सेना के एक डॉक्टर सहित कश्मीरी मूल के कई डॉक्टरों और छात्रों से संपर्क स्थापित कर रखा था। उत्तर प्रदेश में कार्यरत करीब 200 कश्मीरी मूल के डॉक्टर और मेडिकल छात्र विभिन्न एजेंसियों की निगरानी में हैं, जबकि पूरे देश में इनकी संख्या एक हजार से अधिक बताई जा रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस इन संदिग्धों की जानकारी राज्यों और सुरक्षा एजेंसियों को भेज रही है, जबकि जिनके खिलाफ साक्ष्य पाए जा रहे हैं, उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। सूत्रों के अनुसार डॉ. शाहीन लगातार उत्तर प्रदेश के 30 से 40 डॉक्टरों से संपर्क में थी और उन्हें गुमराह कर नेटवर्क का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही थी।

फरीदाबाद मॉड्यूल के सदस्य डॉ. आदिल, डॉ. शाहीन, डॉ. परवेज, डॉ. आरिफ और डॉ. फारुख की गिरफ्तारी के बाद एनआईए, दिल्ली पुलिस, केंद्रीय खुफिया ब्यूरो और एटीएस की टीमों द्वारा लगातार पूछताछ की जा रही है। एटीएस की एक टीम दिल्ली पहुंच चुकी है, जबकि दूसरी टीम को श्रीनगर भेजने की तैयारी चल रही है। श्रीनगर में एनआईए द्वारा की गई पूछताछ में खुलासा हुआ कि डॉ. शाहीन और उसके सहयोगी डॉ. मुजम्मिल ने पाकिस्तान, मलेशिया, तुर्किये, यूएई, मालदीव और बांग्लादेश सहित कई देशों में नेटवर्क तैयार कर लिया था। उनकी योजना थी कि दिल्ली में कई धमाके कर विदेश भाग जाएं। इस उद्देश्य से डॉ. शाहीन ने वीज़ा के लिए आवेदन भी किया था, ताकि हमलों के बाद किसी दूसरे देश में शरण ले सके।

जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. शाहीन ने अपने भाई डॉ. परवेज को भी जिहाद की राह पर धकेला। वर्ष 2021 में वह मालदीव गया था, जिसके बाद शाहीन ने उसका ब्रेनवॉश कर उसे कट्टरपंथी बना दिया। उसे हथियार लाने और नेटवर्क से जुड़े डॉक्टरों को संदेश पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए हुलिया बदल लिया था और इंटरनेट रहित सामान्य मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता था, ताकि उसकी गतिविधियों का पता न चल सके।

पूछताछ में यह भी सामने आया कि यह मॉड्यूल खास तौर पर दिल्ली और बड़े धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहा था। अधिकारियों के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद पिछले चार वर्षों से इस मॉड्यूल को प्रशिक्षित कर रहा था और अपने हमलों के लिए शिक्षित एवं प्रशिक्षित लोगों पर ही भरोसा करता है। इसी वजह से डॉक्टरों और छात्रों को जोड़कर यह पूरा नेटवर्क तैयार किया गया।

सुरक्षा एजेंसियों के सक्रिय होने के बाद इस बड़े आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ संभव हुआ है, लेकिन पूछताछ में सामने आ रही जानकारियों से साफ है कि जैश-ए-मोहम्मद देश के भीतर अपने स्लीपर मॉड्यूल, मददगारों और कैदियों से जुड़े तंत्र को सक्रिय करने की कोशिश में था। जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य राज्यों की एजेंसियां अब ऐसे सभी संदिग्धों की पहचान कर उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।

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