ओवरलोड वाहनों का बड़ा खेल बेनकाब, प्रवर्तन दल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ में ओवरलोड वाहनों के संचालन में चल रहे बड़े खेल का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया है। अक्टूबर महीने में लखनऊ की सड़कों से 45 हजार से अधिक ओवरलोड ट्रक, डंपर और भारी वाहन गुजरे, लेकिन परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम केवल 51 वाहनों को ही पकड़ सकी और इनमें से भी सिर्फ 31 को सीज किया गया। इतनी बड़ी संख्या के मुकाबले बेहद कम कार्रवाई प्रवर्तन दल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

एसटीएफ ने मौरंग, गिट्टी और बालू ढोने वाले ओवरलोड ट्रकों का संचालन कराने वाले सिंडिकेट का खुलासा करते हुए दलाल अभिनव पांडेय और डंपर चालक कपिल को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार दलाल के मोबाइल से UNDERLOD01 नाम का व्हॉट्सएप ग्रुप मिला, जिसमें 122 सदस्य जुड़े थे। इसी ग्रुप पर सेटिंग, रिश्वत की रकम और ओवरलोड वाहनों की सूची भेजी जाती थी, ताकि वाहन बिना जांच के निकल सकें। कपिल ने स्वीकार किया कि उसके मालिक ने हमीरपुर से लखनऊ और पूर्वांचल तक ट्रकों के निर्बाध संचालन के लिए मोटी रकम देकर सेटिंग कर रखी थी।

सूत्रों के अनुसार लखनऊ में रोजाना करीब 1500 ओवरलोड वाहन गुजरते हैं और पूरे संभाग में पिछले छह महीनों में 16.20 लाख ओवरलोड वाहन सड़कों से निकले, लेकिन केवल 3001 का ही चालान किया गया। प्रवर्तन दल का तर्क है कि स्टाफ की भारी कमी, पर्याप्त यार्ड की अनुपलब्धता और संसाधनों की कमी के चलते कार्रवाई सीमित रह जाती है। लखनऊ में चार एआरटीओ पदों में से तीन खाली हैं, वहीं प्रवर्तन टीम में 15 सिपाहियों की जगह केवल तीन और पांच सुपरवाइजर की जगह सिर्फ एक ही मौजूद है। यार्ड भी मात्र एक (आशियाना पी-4 पार्किंग) है।

एसटीएफ की जांच में यह भी सामने आया कि कई ओवरलोड ट्रकों से वजन घटाने के लिए टायर तक निकाल दिए जाते थे। दलालों ने वसूली के पैसों से कारें तक खरीद रखी थीं, जिन्हें अब जब्त किया गया है। मुखबिर तंत्र भी इस पूरे खेल में अहम भूमिका निभा रहा था, जिन्हें वाहन मालिकों से हर महीने 10–15 हजार रुपये मिलते थे और वे अफसरों की गतिविधियों की लाइव लोकेशन ग्रुप में भेजते थे।

एसटीएफ की इस कार्रवाई के बाद डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने आरटीओ प्रवर्तन प्रभात कुमार पांडेय को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। लखनऊ के साथ ही फतेहपुर, उन्नाव और अन्य जिलों में भी जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। यह खुलासा बताता है कि राजधानी ही नहीं, पूरे प्रदेश में ओवरलोडिंग एक संगठित नेटवर्क बन चुका है, जिसकी जड़ें गहरी हैं और जिस पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

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