लखनऊ: प्रदेश सरकार (UP Government) ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को सुव्यवस्थित करने और पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। आउटसोर्स सेवा निगम (Outsource Seva Nigam) के गठन की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुँच गई है।
शनिवार को इस संबंध में प्रभारी मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें निगम की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में तय किया गया कि गठन प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की तैनाती की जाएगी।
इस निगम के गठन से सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति और भुगतान की व्यवस्था पारदर्शी और केंद्रीकृत हो जाएगी। अभी तक अलग-अलग विभाग अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से आउटसोर्सिंग एजेंसियों से अनुबंध करते रहे हैं, जिससे अनियमितता और विवाद की शिकायतें मिलती रही हैं। निगम बनने के बाद यह पूरी व्यवस्था एक ही प्लेटफ़ॉर्म से संचालित होगी।
आउटसोर्स सेवा निगम की प्रारंभिक रूपरेखा को मंजूरी दी गई। गठन की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए CA तैनात करने का निर्णय लिया गया। प्रभारी मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि निगम की संरचना और वित्तीय ढाँचे को जल्द अंतिम रूप दिया जाए।
इस निगम के माध्यम से न सिर्फ विभागीय कामकाज में पारदर्शिता आएगी, बल्कि आउटसोर्स कर्मचारियों को भी समय पर वेतन और सुविधाएँ सुनिश्चित होंगी। लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि आउटसोर्स कर्मचारियों को एजेंसियों की मनमानी से बचाने के लिए एक एकीकृत तंत्र बनाया जाए। अधिकारियों के अनुसार, निगम के गठन की प्रक्रिया को जल्द पूरा कर अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके बाद प्रदेश के सभी विभागों में आउटसोर्सिंग की व्यवस्था इसी निगम के जरिए होगी।