लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम के गठन को मंजूरी मिल गई है। इस फैसले से प्रदेश के करीब पांच लाख आउटसोर्स कर्मचारियों को बड़ा लाभ मिलेगा। अब सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मी तीन साल तक सेवा दे सकेंगे और इसके बाद अनुबंध का नवीनीकरण भी संभव होगा। अभी तक यह अवधि केवल एक वर्ष थी। नई व्यवस्था के तहत कर्मचारियों का न्यूनतम मासिक मानदेय 20 हज़ार रुपये तय किया गया है, जबकि पहले यह राशि लगभग 10 हज़ार थी। इसके अलावा अलग-अलग श्रेणियों में वेतन संरचना तय की गई है। श्रेणी-1 में चिकित्सीय, अभियंत्रण स्तर-1, परियोजना प्रबंधन और वरिष्ठ अनुसंधान जैसी सेवाओं का न्यूनतम वेतन 40 हज़ार रुपये होगा। श्रेणी-2 में नर्सिंग, फार्मेसी, आशुलिपिक स्तर-2, लेखा स्तर-2 और शिक्षण सेवाएं स्तर-2 जैसी सेवाओं के लिए न्यूनतम वेतन 25 हज़ार रुपये तय किया गया है। श्रेणी-3 में डाटा प्रोसेसिंग स्तर-3, पुस्तकालय, इलेक्ट्रिशियन, यांत्रिक, फिटर, पैरामेडिकल और वाहन चालक सेवाओं के लिए न्यूनतम वेतन 22 हज़ार रुपये होगा। वहीं श्रेणी-4 में लिफ्ट ऑपरेटर, भंडारण, रंगरोगन, खानपान, बागवान, श्रम, सैनिटेशन, पंपिंग और सुरक्षा जैसी सेवाओं का न्यूनतम वेतन 20 हज़ार रुपये होगा। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अब विभाग सीधे आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन नहीं करेंगे, बल्कि यह प्रक्रिया केवल जेम पोर्टल के माध्यम से उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम द्वारा की जाएगी। इससे भुगतान, ईपीएफ, ईएसआई और अन्य सुविधाएं पारदर्शी तरीके से कर्मचारियों तक पहुंचेंगी। नई व्यवस्था में कर्मचारियों को लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से चुना जाएगा। आरक्षण नियमों के तहत एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, भूतपूर्व सैनिक और महिलाओं को लाभ मिलेगा। साथ ही महिलाओं को मैटरनिटी लीव भी दी जाएगी। सरकार ने यह भी तय किया है कि वेतन हर माह की 1 से 5 तारीख तक सीधे बैंक खातों में भेजा जाएगा। सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु पर 15 हज़ार रुपये अंतिम संस्कार सहायता भी दी जाएगी।