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Thursday, August 7, 2025

रंगदारी और ब्लैकमेलिंग के खिलाफ ‘ऑपरेशन महाकाल

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शरद कटियार

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अब केवल शब्दों तक सीमित नहीं, बल्कि जमीन पर उसके स्पष्ट परिणाम देखने को मिल रहे हैं। कानून और व्यवस्था को चुनौती देने वाले, चाहे वह अपराधी हो या समाज के किसी प्रतिष्ठित वर्ग से जुड़ा व्यक्ति, अब राज्य सरकार के निशाने पर है।

ताजा उदाहरण कानपुर का है, जहां ऑपरेशन महाकाल (Operation Mahakal) के अंतर्गत 50 लाख रुपये की रंगदारी (blackmailing) मांगने के आरोप में एक अधिवक्ता, अखिलेश दुबे, को गिरफ्तार किया गया है। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि दुबे ने एक भाजपा नेता को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देकर मोटी रकम वसूलने की कोशिश की। यह गिरफ्तारी एक मजबूत संदेश है — कानून से ऊपर कोई नहीं, चाहे वह वकील हो, पत्रकार हो या कोई रसूखदार व्यक्ति।

यह कार्रवाई न केवल कानूनी प्रक्रिया की दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि समाज में व्याप्त उस डर और अन्याय के माहौल के खिलाफ एक ठोस कदम है, जो अक्सर रसूख और पद के दम पर पैदा किया जाता है। अब जरूरत है कि इसी प्रकार की कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई फर्रुखाबाद जैसे जिलों में भी हो, जहां कचहरी क्षेत्र सहित कई संवेदनशील स्थानों पर ऐसे ही गतिविधियां गुपचुप तरीके से संचालित हो रही हैं।

सूत्रों की मानें तो यहाँ कुछ लोग पत्रकार, समाजसेवी या अधिवक्ता की आड़ में आम नागरिकों, वादकारियों और यहाँ तक कि प्रशासनिक अधिकारियों पर भी दबाव बनाकर रंगदारी, ब्लैकमेलिंग, और झूठे मुकदमों के माध्यम से आर्थिक शोषण कर रहे हैं। पूर्व में तैनात कई वरिष्ठ अधिकारियों तक के नाम ऐसे मामलों में सामने आ चुके हैं। फर्जी स्कूल और कॉलेजों का संचालन, जमीनों के विवादों में दलाली, स्टांप के फर्जीवाड़े, और आईपीसी की गंभीर धाराओं के दुरुपयोग के माध्यम से एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है।

यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यह ना केवल कानून की गरिमा को आहत करती है, बल्कि न्यायिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को भी संदेह के घेरे में लाती है। फर्रुखाबाद पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वे बिना किसी दबाव और भेदभाव के ऐसे तत्वों की पहचान करें और उनके विरुद्ध सुसंगत कानूनी कार्यवाही करें। यह सिर्फ कानून का सवाल नहीं, बल्कि समाज की बुनियादी संरचना और आम आदमी के विश्वास का प्रश्न है।

‘ऑपरेशन महाकाल’ की भावना सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक न्यायपूर्ण और भयमुक्त समाज की स्थापना का संकल्प है। फर्रुखाबाद में भी यदि इसे सख्ती से लागू किया जाए, तो न केवल ऐसे संगठित अपराधों पर लगाम लगेगी, बल्कि न्याय व्यवस्था की गरिमा भी बनी रहेगी।

शरद कटियार
ग्रुप एडिटर
यूथ इंडिया न्यूज ग्रुप

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