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Thursday, November 27, 2025

जनता की जान से खुला खिलवाड़, अब सख्त कार्रवाई ही एकमात्र रास्ता

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बरेली: बरेली में सामने आया नकली दवाओं का फर्जीवाड़ा (counterfeit drugs) सिर्फ एक जाँच का मामला नहीं, बल्कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर चेतावनी है। यह घटना बताती है कि दवा बाजार में मुनाफे के लिए कुछ व्यापारी किस हद तक गिर सकते हैं—और सरकार की निगरानी प्रणाली में कितनी बड़ी खामियाँ मौजूद है। ड्रग विभाग की प्रारंभिक जांच में यह साफ हो चुका है कि बंसल मेडिकल एजेंसी (Bansal Medical Agency) और ‘हे मां मेडिकल्स’ से बड़ी मात्रा में नकली दवाएं खरीदी गईं और बाजार में धड़ाधड़ बेची गईं।

इसका मतलब है— “दवा के नाम पर ज़हर बेचने” का खेल लंबे समय से बेखौफ चल रहा था। लखनऊ ड्रग एजेंसी और माधव मेडिकल एजेंसी पर लगे आरोप साबित करते हैं कि यह कोई छोटी चोरी या लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित रैकेट है। रिटेलरों के नाम पर फर्जी बिल बनाना और नकली एंटीबायोटिक, एंटी डायबिटिक व एलेग्रा-120 जैसी दवाओं को बाजार में खपाना बेहद घातक अपराध है।

फिलहाल लखनऊ ड्रग एजेंसी का लाइसेंस 30 दिनों के लिए निलंबित, माधव मेडिकल एजेंसी पर कार्रवाई, साहनी मेडिकल स्टोर का लाइसेंस 7 दिनों के लिए रद्द, कुल 19 फर्में जांच के घेरे में। ये निर्णय सही दिशा में कदम हैं, लेकिन सवाल उठता है— क्या ऐसे निलंबन इस माफिया को रोक पाएंगे?

अगर दवा माफिया ब्रांडेड दवाओं के सुरक्षा फीचर, क्यूआर कोड और बैच नंबर तक फर्जी बना ले, तो यह स्पष्ट है कि सिस्टम को और कठोर बनाना होगा। आज जब सरकार क्यूआर कोड को सुरक्षा का प्रतीक बताती है, वही कोड अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से नकल किए जा रहे हैं। एक ही बैच नंबर पर अलग-अलग दवाएं तैयार करना यह दिखाता है कि दवा माफिया सिर्फ चालाक नहीं, बल्कि तकनीक में भी बेहद आगे है।

यह स्थिति जनता के लिए बेहद खतरनाक है। जाँच रिपोर्ट का इंतज़ार लेकिन जनता का धैर्य सीमित है 33 सर्वे सैंपल और नौ लैब सैंपल की रिपोर्ट अभी लंबित है। यह भी सवाल उठता है कि— सितंबर में सैंपल गए थे, अब तक रिपोर्ट क्यों नहीं आई? दवा जैसे संवेदनशील विषय पर जांच में देरी भी अनजाने में अपराधियों को सुरक्षा देती है।

समय सख्त कार्रवाई का है—दया की नहीं नकली दवाएं बेचने वालों पर सिर्फ लाइसेंस निलंबन नहीं, बल्कि— आईपीसी की कड़ी धाराएँ, एनएसए जैसे गैर-जमानती प्रावधान और दवा माफिया की पूरी संपत्ति जब्त करने जैसे कदम जरूरी हैं, क्योंकि यह मामला सिर्फ धोखाधड़ी का नहीं— यह मानवीय जीवन से खिलवाड़ है।

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