इटावा (बकेवर) (यूथ इण्डिया संवाददाता): जनपद इटावा के थाना बकेवर क्षेत्र में इन दिनों एक नया और गंभीर किस्म का अपराध पनप रहा है, जो न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन चुका है, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान को भी खतरे में डाल रहा है। क्षेत्र में सक्रिय एक कथित रिकवरी गिरोह फाइनेंस की किस्त बकाया होने के नाम पर खुलेआम गुंडागर्दी और अवैध वसूली कर रहा है। यह गिरोह 4 से 5 युवकों के एक ग्रुप में कार से घूमते हुए दिनभर लोगों को परेशान करता है।
वसूली के नाम पर धमकी और दबाव
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, यह गिरोह स्वयं को “फाइनेंस रिकवरी एजेंट” बताकर सीधे घरों या रास्ते में गाड़ियों को रोककर जबरन वसूली करता है। ये लोग बकाया वाहन की किस्तों या अतिरिक्त अनुरल परसेंट रेट की बात के नाम पर अतिरिक्त रकम की मांग करते हैं, जो न तो लिखित दस्तावेजों में होती है, न ही कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त होती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह गिरोह बिना किसी वैधानिक नोटिस या कोर्ट आदेश के रिकवरी करने के नाम पर लोगों को गाड़ियों से खींचकर नीचे उतारते हैं, गाली-गलौज करते हैं और मानसिक प्रताड़ना देते हैं। कुछ मामलों में तो रिकवरी के नाम पर गाड़ियों को जबरन ले जाना भी सामने आया है।
ग्रामीणों में भय का माहौल
इस तरह की घटनाओं से ग्रामीण क्षेत्र के लोग भयभीत हैं। कई लोगों ने डर की वजह से थाने में शिकायत तक दर्ज नहीं कराई है। पीड़ितों को डर है कि शिकायत करने के बाद ये लोग और अधिक प्रताड़ना देंगे। बकेवर क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मेरे ऊपर एक किस्त बाकी थीं। लेकिन अचानक 4 लड़के आए, खुद को फाइनेंस कंपनी से बताया और बोले कि APR जोड़कर ₹18,000 दो, नहीं तो गाड़ी उठा लेंगे। जब मैंने विरोध किया तो गाली गलौज शुरू कर दी और धमकी दी कि पुलिस में जाओगे तो देख लेंगे।”
क्या कहते हैं कानून और नियम
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई भी फाइनेंस कंपनी केवल अधिकृत और प्रशिक्षित रिकवरी एजेंट्स द्वारा ही किस्त की रिकवरी कर सकती है। उन्हें भी ग्राहकों को लिखित नोटिस देना होता है, और किसी प्रकार की जबरदस्ती, मानसिक प्रताड़ना या अभद्रता पूरी तरह प्रतिबंधित है। ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर फाइनेंस कंपनी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल? यह गंभीर विषय थाना बकेवर के अंतर्गत आता है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से जनता में पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह भी है कि आखिर ऐसे गिरोह क्षेत्र में निर्भय होकर खुलेआम वाहन रोककर वसूली कैसे कर रहे हैं? जनहित की मांगें ऐसे अवैध गिरोहों के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए। रिकवरी के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों की पहचान कर उन्हें जेल भेजा जाए। पुलिस पेट्रोलिंग को बढ़ाया जाए और ऐसे क्षेत्रों में नियमित निगरानी हो।
फाइनेंस कंपनियों की भूमिका की भी जांच की जाए कि कहीं उनकी मिलीभगत तो नहीं है। पीड़ितों को बिना डर शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रशासन भरोसा दे।