गैर जमानती वारंट के बावजूद खुलेआम घूम रही थी महिला सिपाही, न्यायालय में अधिवक्ता की सूचना पर हुई गिरफ्तारी
फर्रुखाबाद: जिले की पुलिस व्यवस्था (police system) और कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है, जब एक मुकदमे में गैर जमानती वारंट (NBW) झेल रही महिला सिपाही (female constable) नीरू यादव को आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय (CJM) परिसर में मौजूद पाया गया। आश्चर्यजनक बात यह रही कि सिपाही नीरू यादव पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहते हुए भी आज अपने भाई शिवम यादव के साथ निजी कार्य हेतु न्यायालय पहुंची थी।
हालाँकि, नीरू यादव को पहचानने के बाद परिवादी पक्ष के अधिवक्ता ने मौखिक रूप से न्यायाधीश को सूचित किया कि महिला सिपाही के विरुद्ध इसी न्यायालय से जारी गैर जमानती वारंट लंबित हैं। अधिवक्ता की सूचना पर न्यायाधीश ने तत्काल सख्त रुख अपनाते हुए महिला सिपाही को कस्टडी में लेने के आदेश दे दिए।
शहर के बढ़पुर क्षेत्र की निवासी एक युवती ने 17 जनवरी 2019 को दिए एक बयान में कहा था कि वह एक मुकदमे में महिला सिपाही नीरू यादव के साथ न्यायालय बयान देने आई थी, जहाँ नीरू यादव ने उसे धमकी दी कि यदि उसने बयान दिया तो वह उसे कचहरी के बाहर मरवा देगी। पीड़िता के विरोध पर सिपाही ने उसे थप्पड़ मारा, और लगातार दबाव बनाती रही कि वह बयान न दे।
पीड़िता ने इस घटनाक्रम की शिकायत पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजी, लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर उसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दायर की। न्यायालय ने गंभीरता से सुनवाई करते हुए सिपाही नीरू यादव के खिलाफ परिवार वाद दर्ज कर गैर जमानती वारंट जारी कर दिए।
न्यायालय द्वारा बार-बार वारंट जारी किए जाने के बावजूद पुलिस ने रिपोर्ट लगाकर यह कहा कि नीरू यादव मौके पर नहीं मिली, जबकि वह आज न्यायालय में खुलेआम मौजूद थी। यह पूरी घटना पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगाती है कि वारंट के बावजूद फरार अभियुक्त सिपाही कैसे खुले में घूम रही थी।
नीरू यादव की गिरफ्तारी के बाद उनके अधिवक्ता द्वारा जमानत याचिका प्रस्तुत की गई, जिस पर न्यायालय में त्वरित सुनवाई हुई और महिला सिपाही को सशर्त जमानत प्रदान कर दी गई।