शाहजहांपुर (कलान/मिर्जापुर): Sawan का मुख्य पर्व शिवतेरस (Shivteras), जब पूरा प्रदेश “बोल बम” के जयकारों से गूंज रहा था, उसी रात कलान क्षेत्र के पटना देवकली में आस्था की गरिमा को रौंदता हुआ एक ट्रक आ पहुंचा — उसमें लदा था प्रतिबंधित पशु मांस! न सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँची, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली और भ्रष्ट तंत्र की सड़ांध भी खुलकर सामने आ गई।
सरकार के स्पष्ट आदेश और डीएम -एसपी की सख्ती के बावजूद कांवड़ यात्रा मार्ग से भारी वाहनों का गुजरना कैसे मुमकिन हुआ? यह ट्रक किसी सामान्य रास्ते से नहीं, बल्कि सावन की सबसे भीड़भाड़ वाली रात स्टेट हाईवे से होकर सीधे शिव मंदिर के सामने आ निकला — वह भी तब, जब हजारों शिवभक्त जलाभिषेक की तैयारी में थे।
जैसे ही ट्रक से उठती दुर्गंध ने लोगों को सचेत किया, श्रद्धालुओं ने तिरपाल हटाई और मंजर देख सन्न रह गए — ऊपर मृत पशुओं के अंग, नीचे गोमांस का अंबार। श्रद्धा के अपमान पर आक्रोश फूट पड़ा। कांवड़ियों ने ट्रक में डीजल डालकर उसमें आग लगा दी। देखते ही देखते ट्रक धू-धू कर जल उठा और भगदड़ मच गई। पुलिस के जवान हालात संभालने में नाकाम नजर आए।
जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह और एसपी राजेश द्विवेदी ने एक दिन पहले ही कांवड़ मार्ग से भारी वाहनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। फिर ये ट्रक वहां तक कैसे पहुंचा? क्या पुलिस की मिलीभगत से प्रतिबंधित मांस तस्करी को आंख मूंदकर संरक्षण दिया जा रहा है?
घटना के बाद सीओ जलालाबाद अजय कुमार राय और थाना प्रभारी कलान प्रभाष चंद्र मीडिया से बचते नजर आए। यह चुप्पी क्या किसी बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा नहीं करती?
सरकार की सख्ती सिर्फ कागजों पर, ज़मीनी हकीकत में पुलिस की मिलीभगत से तस्कर बेखौफ घूम रहे हैं। — यह आरोप अब सिर्फ जनता का नहीं, शिवभक्तों के आक्रोश में स्पष्ट झलक रहा है। ये सिर्फ ट्रक नहीं जला… पुलिस की साख, कानून का डर और आस्था का विश्वास भी उस आग की लपटों में जल उठा।