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Thursday, November 21, 2024

जन्माष्टमी पर बाल गोपाल को झूला जरूर झुलाएं, जानें इसका महत्व

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हर साल कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से 22वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता है।

भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में इस पर्व को मनाया जाता है। हर साल जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त, सोमवार को मनाई जाने वाली है। आइए, जानते हैं कि इस दिन किस समय पूजा करना शुभ होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) तिथि 2024

इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन 27 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। पूजा का समय 27 अगस्त को देर रात 12 बजकर 01 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस समय में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

इस साल 2024 में जन्माष्टमी (Janmashtami)  26 और 27 अगस्त दोनों दिन मनाई जाएगी। उदया तिथि के अनुसार 26 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, गोकुल और वृंदावन में 27 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

बाल गोपाल को जरूर झुलाएं झूला

– जन्माष्टमी (Janmashtami)  के दिन भगवान कृष्ण के निमित्त व्रत रखा जाता है और रात में श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।
– इस दिन भगवान को हल्दी, दही, घी, तेल, गंगाजल आदि से स्नान कराया जाता है। उन्हें चंदन लगाया जाता है।
– बाल-गोपाल को खुशी से पालने में जरूर झुलाएं। इस दिन मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है। भजन-कीर्तन होते हैं।
– इस दिन श्रीमद्भागवत का पाठ भी किया जाता है। जन्माष्टमी मथुरा-वृन्दावन में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।
– जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का आयोजन किया जाता है। बाल गोपाल के झूले को सजाने के लिए ताजे फूलों को इस्तेमाल करें।

झूला झुलाने का महत्व

जन्माष्टमी (Janmashtami) पर बाल गोपाल को झूला झुलाने का विशेष महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा करने से संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि रात के समय बाल गोपाल का जन्म होता है, जिसके बाद उन्हें पालने में झुलाया जाता है। जिस तरह एक छोटे बच्चे को जन्म के बाद पालने में सुलाया जाता है। इससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।

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