फर्रुखाबाद: क्षेत्र में गंगा और रामगंगा नदियों (Ganga and Ramganga) के तेज उफान ने बाढ़ का संकट गहरा दिया है। गांव गांव पानी भर जाने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है, खेत डूब गए हैं और कई ग्रामीणों को घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है। मंगलवार दोपहर प्रशासनिक अमला हालात का जायजा लेने के लिए पहुंचा, लेकिन बाढ़ (flood) की भयावहता देख आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
जानकारी के मुताबिक उपजिलाधिकारी (एसडीएम) अतुल कुमार, अपर जिलाधिकारी (एडीएम) अरुण कुमार सिंह और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ आँशुवेन्द्र सिंह कंपिल क्षेत्र में बाढ़ग्रस्त इलाकों का निरीक्षण करने पहुंचे। अफसरों का काफिला रामेश्वर नाथ मंदिर के पास पहुंचा, जहां पानी से घिरा इलाका और बैरिकेडिंग लगी देख वे सुरक्षित स्थान से ही लौट गए। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अफसरों को सिर्फ औपचारिक दौरे के बजाय राहत और बचाव कार्यों में सीधी भागीदारी करनी चाहिए।
इस बीच गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बुधबार को जलस्तर 15 सेंटीमीटर बढ़कर 137.30 मीटर से 137.45 मीटर पर पहुंच गया। नरौरा बांध से 1,91,442 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण स्थिति और गंभीर हो सकती है। वहीं, रामगंगा नदी खतरे के निशान से महज 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। उसका जलस्तर 137.85 मीटर से घटकर 136.90 मीटर पर दर्ज किया गया, लेकिन खो हरेली रामनगर बैराज से छोड़े गए 14,939 क्यूसेक पानी ने खतरा बरकरार रखा है।
ग्रामीणों का कहना है कि लगातार बढ़ते जलस्तर और तेज बहाव से फसलों को भारी नुकसान हो रहा है, पशु चारा और पीने के पानी की भी भारी किल्लत है। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है, लेकिन लोगों की उम्मीदें अब इस बात पर टिकी हैं कि राहत सामग्री और बचाव टीम जल्द से जल्द प्रभावित गांवों तक पहुंचे, ताकि बाढ़ से जूझ रहे परिवारों को समय पर मदद मिल सके।