लखनऊ: श्री बालक राम हनुमान मंदिर जानकीपुरम गार्डेन आश्रम के मुख्य आचार्य पंडित मयंक शरण शास्त्री जी (Pandit Mayank Sharan Shastri) ने श्रीकाशी विद्वत परिषद के धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष प्रकोष्ठ की आनलाइन बैठक शनिवार को परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में हुई। इसमें दीपावली (Diwali) पर विस्तृत विचार-विमर्श करते हुए शास्त्र के आलोक में धर्मशास्त्रीय व्यवस्था के अनुरूप 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया गया, क्योंकि पूर्ण प्रदोष काल व्यापिनी तिथि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है।
शास्त्री जी ने संबंधित सभी विषयों सहित शास्त्र के सभी पक्षों को उपस्थापित किया, जिस पर परिषद के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। मयंक शरण शास्त्री जी ने बताया कि जिन पंचांगो में कुछ तथाकथित पंचांगकारों – ने 21 अक्टूबर को दीपावली लिखा है, उनकी तिथि व मानों को देखकर – धर्मशास्त्रीय ग्रंथों के तत्संबंधी समस्त वाक्यों का अनुसरण एवं अमावस्था के पांच कर्मों में तीन के लिए प्रदोष काल में ही मुहूर्त, नक्त व्रत पारण को प्रदोषव्यापिनी अमावस्या 20 को ही प्राप्त होगी।
अनुशीलन करने से भी 20 अक्टूबर को ही दीपावली सिद्ध हो रही है। धर्मशास्त्र निर्णयोपयुक्त ग्रह गणना पद्धति के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ20 अक्टूबर सोमवार को अपराह्न 2:45 बजे हो रहा है तथा इसकी समाप्ति 21 अक्टूबर मंगलवार को अपराह्न 4:15 बजे होगी। इसलिए प्रदोष कालव्यापिनी अमावस्या 20 अक्टूबर को प्राप्त होने के कारण उस दिन ही दीपावली पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है।
उन्होंने बताया कि कार्तिक अमावस्या के मुख्य पांच कर्म हैं-अभ्यंग स्नान, पितु श्राद्ध, प्रदोष काल में नक्त व्रत पूर्वक लक्ष्मी पूजन, उल्का मुख दर्शन और नक्त व्रत का प्रदोष काल में ही पारण। इनमें से अभ्यंग स्नान व श्राद्ध कर्म पूर्व या पर दिन भी उपयुक्त काल में किए जा सकते हैं परंतु प्रदोष काल में किए जाने वाले शेष तीन कर्म आवश्यक हैं जो 20 अक्टूबर हो किए जा सकते हैं। इसलिए विभित्र धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों का अनुशीलन करते हुए सर्वसम्मति से 20 अक्टूबर को पूरे देश में दीपावली पर्व मनाने का निर्णय दिया गया।


