फर्रुखाबाद। प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों को 50 से कम छात्र संख्या के आधार पर मर्ज या बंद करने के निर्णय का शिक्षक संगठनों ने तीव्र विरोध किया है। इसी क्रम में यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन मंगलबार को कायमगंज विधायक डॉ. सुरभि गंगवार को सौंपा, जिसमें उक्त निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की गई।
ज्ञापन में यूटा के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में प्रारंभ किए गए सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य हर गांव-मजरे के बच्चों तक सुलभ और समावेशी शिक्षा पहुंचाना था। परंतु वर्तमान शासन द्वारा छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों को बंद करना इस मूल उद्देश्य के विपरीत है। यह फैसला गरीब, वंचित वर्गों व विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और ड्रॉपआउट रेट को बढ़ावा देगा।
यूटा ने स्पष्ट किया कि यदि किसी विद्यालय में नामांकन कम है, तो उसे सुधारने के लिए संसाधन व शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए, न कि विद्यालयों को समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि गांवों में स्कूल केवल शिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि भरोसे व अनुशासन का प्रतीक होते हैं, और इन्हें संख्या के तराजू पर तौलना अनुचित है।
पीयूष कटियार ने कहा कि शिक्षा कोई व्यापारिक सौदा नहीं है जिसे लाभ हानि के आधार पर चलाया जाए। अगर स्कूलों को बंद किया गया तो इससे सिर्फ इमारतें नहीं, बल्कि गरीब बच्चों का भविष्य भी ढह जाएगा। हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को वापस ले और विद्यालयों को मजबूत बनाए, न कि खत्म करे।
इस दौरान संगठन के जिला अध्यक्ष पीयूष कटियार के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री से विद्यालयों को यथावत संचालित रखने और जल्दबाजी में लिए गए फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
यह मामला शिक्षा व्यवस्था में नीतिगत पारदर्शिता और सामाजिक समावेशन के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।