– जो जांच कर रहा है उसी के साथ सम्बद्ध किया गया
– 2022 में भी निलंबन हो चूका है
लखनऊ/ गाज़ियाबाद: प्रशासनिक अधिकारी नृपेन्द्र बहादुर सिंह (Nripendra Bahadur Singh) पर रिश्वत (Bribe) के आरोप के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित (suspension) कर दिया गया है और उनके विरुद्ध विभागीय जांच शुरू कर दी गयी है। यह निलंबन सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो और ऑडियो क्लिप में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के प्रशासनिक अधिकारी नृपेन्द्र बहादुर सिंह पर भ्रष्टाचार और भूखंड आवंटन में रिश्वत लेने के गंभीर आरोप के आधार पर हुआ है।
बताते चलें कि वीडियो में समाचार वाचक बुलेटिन पढ़ता नजर आ रहा है और बीच-बीच में दो ऑडियो क्लिप भी सुनाई देती हैं, जिनमें दो व्यक्तियों के बीच भूखंड आवंटन और पैसों के लेन-देन की बातचीत हो रही है। प्रारंभिक सुनवाई में इन ऑडियो में से एक आवाज़ नृपेन्द्र बहादुर सिंह से मिलती-जुलती पाई गई है। आरोप है कि नृपेन्द्र बहादुर सिंह द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध रूप से रिश्वत ली गई और परिषद की छवि को नुकसान पहुँचाया गया है। परिषद द्वारा तत्काल प्रभाव से नृपेन्द्र बहादुर सिंह को निलंबित कर दिया गया है और उनके विरुद्ध विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
ज्ञात हो कि इस मामले में जांच अधिकारी के रूप में उप आवास आयुक्त (भूमि), मुख्यालय लखनऊ को नामित किया गया है। और आरोप पत्र मेरठ जोन द्वारा किया जाएगा।
देखने वली बात यह है कि नरेंद्र बहादुर सिंह को निलंबन के बाद जांच अधिकारी से ही संबद्ध किया गया है जिससे जांच प्रक्रिया अवरुद्ध होगी जबकि निलंबन के बाद नरेंद्र बहादुर को उस जोन से हटा देना चाहिए था या मुख्यालय से सम्बद्ध करना चाहिए था जिससे जांच प्रक्रिया प्रभावित न हो सके। जैसा कि वीडियो में दिखाई दे रहा है कि सचिव महोदय को भी हिस्सा दिया जाता है, तो यह निलंबन और सम्बद्धता खाना पूर्ति लग रहा है। यह प्रशासनिक अधिकारी 2022 में भी निलंबित हुए थे और 2024 में बहाली के बाद फिर गाज़ियाबाद में फिर तैनाती दे दी गयी जहा से फिर निलंबन हो गया।