मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में में हुए मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) के बाद राज्य की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। उत्तर भारतीय समुदाय (Indian community), जिनकी उपस्थिति मुंबई, ठाणे, पालघर और नासिक जैसे क्षेत्रों में प्रभावशाली मानी जाती है, उन्हें भाजपा नेतृत्व वाली महायुति सरकार में मंत्री पद नहीं दिए जाने से गहरी नाराजगी में हैं।भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) की साझा सरकार में कुल 39 मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें से एक भी उत्तर भारतीय समुदाय से नहीं है।
कुल मंत्री मे 39बीजेपी 19 मंत्री,शिवसेना (शिंदे गुट) 11 मंत्री,एनसीपी (अजित पवार गुट) 9 मंत्री,उत्तर भारतीय मंत्री ज़ीरो कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) की पिछली सरकारों में उत्तर भारतीयों को चार से पांच मंत्री पद तक दिए जाते थे, जिससे उन्हें सरकार में सीधा प्रतिनिधित्व मिलता था। लेकिन इस बार भाजपा की अगुवाई में एक भी मंत्री न बनाए जाने से यह समुदाय खुद को राजनीतिक रूप से उपेक्षित महसूस कर रहा है।उत्तर भारतीय संगठनों का कहना है कि भाजपा ने उनके साथ वादाखिलाफी की है।
उत्तर भारतीय समाज सेवा संस्था के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी ने कहा, हमने भाजपा को बड़े पैमाने पर समर्थन दिया था, लेकिन हमें सरकार में कोई जगह नहीं दी गई। यह राजनीतिक संतुलन और सामाजिक समावेशिता के विरुद्ध है।वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि आगे आने वाले समय में उत्तर भारतीय समुदाय की नाराजगी को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे। लेकिन फिलहाल के फैसले से राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर असंतोष गहराता जा रहा है।विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस नाराजगी को जल्द नहीं संभाला गया तो आने वाले नगर निकाय और विधानसभा चुनावों में भाजपा को उत्तर भारतीय बहुल क्षेत्रों में झटका लग सकता है।