दिल्ली आतंकी हमले की जांच में एनआईए सक्रिय, जैश-ए-मोहम्मद के यूपी लिंक की गहराई से पड़ताल

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लखनऊ| दिल्ली में हुए आतंकी हमले की जांच टेकओवर करने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब जैश-ए-मोहम्मद के उत्तर प्रदेश कनेक्शन की परतें खोलने में जुट गई है। एनआईए की टीम ने राजधानी लखनऊ निवासी डॉ. शाहीन और उसके भाई डॉ. परवेज के लालबाग और मड़ियांव स्थित ठिकानों से बरामद दस्तावेजों की बारीकी से जांच की। वहीं यूपी एटीएस दोनों से जुड़े 50 से अधिक परिचितों से पूछताछ कर रही है और माड्यूल के कश्मीर से संभावित लिंक तलाश रही है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

सूत्रों के अनुसार एनआईए अधिकारियों ने दोनों के आवासों से मिले दस्तावेजों की जांच के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस से संपर्क साधा और डॉ. परवेज के लैपटॉप, टैब, मोबाइल और हार्ड ड्राइव की फोरेंसिक जांच की प्रगति पर जानकारी ली। एनआईए ने फोरेंसिक रिपोर्ट जल्द उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। इसी बीच यूपी एटीएस की एक टीम ने सहारनपुर के आरटीओ कार्यालय में कुछ वाहनों के दस्तावेजों की जांच की। डॉ. परवेज की कार सहारनपुर से पंजीकृत है, जिसके चलते आधा दर्जन वाहनों को जांच दायरे में शामिल किया गया है। बरामद वाहनों की फोरेंसिक जांच कर यह भी पता लगाया जाएगा कि कहीं इन्हीं के जरिए अमोनियम नाइट्रेट और फर्टिलाइज़र फरीदाबाद भेजा गया था या नहीं।

जांच को आगे बढ़ाते हुए एनआईए की एक टीम जल्द अयोध्या जाएगी। दस्तावेजों से पता चला है कि डॉ. परवेज ने अमीरुद्दौला इस्लामिया इंटर कॉलेज, लखनऊ से वर्ष 1999 में हाईस्कूल और 2001 में इंटरमीडिएट प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया था। इसके बाद सीपीएमटी के माध्यम से एमबीबीएस में चयन हुआ और वर्ष 2004 में इरा मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। वर्ष 2010 में उसने अयोध्या के एक अस्पताल में इंटर्नशिप शुरू की थी। अयोध्या से जुड़े इन तथ्यों के आधार पर एनआईए वहां जाकर उसके संपर्कों और गतिविधियों की पड़ताल करेगी।

जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. शाहीन लगभग चार वर्ष तक सऊदी अरब में एक प्रतिष्ठित अस्पताल में कार्यरत थी। अधिकारियों को संदेह है कि इसी दौरान वह कुछ कश्मीरी मूल के डॉक्टरों, विशेषकर डॉ. मुजम्मिल, के संपर्क में आई। सऊदी से लौटने के बाद वह फरीदाबाद चली गई। अब एनआईए टीम उसके संबंधों और गतिविधियों की गहराई से पड़ताल के लिए कानपुर भी जाएगी, जहां उसके पूर्व पति और अस्पताल के सहयोगियों के बयान दोबारा दर्ज किए जा सकते हैं।

एनआईए और एटीएस दोनों एजेंसियां लगातार दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और संपर्क सूत्रों की जांच कर रही हैं, ताकि हमले की साजिश के हर बिंदु को स्पष्ट किया जा सके और किसी भी तरह की चूक की गुंजाइश न रहे।

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