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Sunday, July 20, 2025
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सेना ने दक्षिण कश्मीर में तीन आतंकवादियों के घर किए ध्वस्त

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श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर में तीन और आतंकवादियों के घरों को “विस्फोटकों का उपयोग करके” ध्वस्त कर दिया गया। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि रात के दौरान पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में आतंकवादियों के तीन घरों को उड़ा दिया गया।

उन्होंने कहा, “हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के सिलसिले में, रात के दौरान दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों के तीन घर विस्फोट में क्षतिग्रस्त हो गए।”

पहलगाम हमलावरों में शामिल होने के संदेह में 24-25 अप्रैल की रात के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों के घरों को दक्षिण कश्मीर में “विस्फोटकों का उपयोग करके ध्वस्त कर दिया गया”।

HURL में बड़ा खुलासा: डीलरों को ‘जूते की नोक पर’ रखने वाला अरुनी कुमार, मंदिर के नाम पर वसूल रहा करोड़ों

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नई दिल्ली/लखनऊ। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HURL) में एक बार फिर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का बड़ा मामला सामने आया है। कंपनी के चीफ मैनेजर (मार्केटिंग) श्री अरुनी कुमार पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे मंदिर निर्माण के नाम पर डीलरों से करोड़ों रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं। राजस्थान और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़े डीलरों द्वारा साझा की गई जानकारी ने कंपनी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

डीलरों के साथ अपमानजनक व्यवहार, धमकी और डर का माहौल

डीलरों ने आरोप लगाया है कि अरुनी कुमार खुलेआम कहते हैं – “डीलरों को मैं अपने जूते की नोक पर रखता हूं।” यह कथन सिर्फ अहंकार नहीं बल्कि डीलरों के साथ किए जा रहे निरंतर अपमान और मनोवैज्ञानिक दबाव को भी उजागर करता है। कई मौकों पर उन्होंने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों, रिटेलरों और डीलरों को पब्लिक मंचों पर नीचा दिखाने में भी संकोच नहीं किया।

चौंकाने वाली बात यह है कि जिस समुदाय के प्रति अरुनी कुमार इस तरह का रवैया रखते हैं, उन्हीं से वे मंदिर निर्माण के नाम पर मोटी रकम की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अब तक यह रकम करोड़ों में पहुंच चुकी है। यह पूरा मामला संस्थागत स्तर पर भ्रष्टाचार और धार्मिक भावनाओं के शोषण की गंध दे रहा है।

MD का नाम लेकर बनाते हैं दबाव

डीलरों का आरोप है कि अरुनी कुमार खुद को HURL के प्रबंध निदेशक श्री सिबा प्रसाद मोहंती का करीबी बताते हुए उनके नाम का प्रयोग कर दबाव बनाते हैं। यह न केवल कंपनी की साख को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि कर्मचारियों के बीच भय और अव्यवस्था का माहौल बना रहा है।

अब इस पूरे मामले में कंपनी के खिलाफ स्वतंत्र जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराने की मांग उठ रही है। साथ ही, श्री अरुनी कुमार को जांच पूरी होने तक पद से निलंबित करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।

कंपनी प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध

विचारणीय प्रश्न यह भी है कि क्या कंपनी प्रबंधन को इस वसूली और अपमानजनक व्यवहार की जानकारी है, या वह जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है? जवाबदारी तय करना अब अनिवार्य हो चुका है।
यह रिपोर्ट संबंधित मंत्रालय, सतर्कता आयोग और प्रमुख मीडिया संस्थानों के संज्ञान में लाई जा रही है।

कन्नौज में बढ़ता जनाक्रोश और भाजपा की गिरती साख,झूठे मुकदमे नामक हथियार से कराहती जनता

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– लोधियों संग सौतेला व्यवहार, सहित पत्रकारों पर भी गिर रही गाज़ से उफनती गुस्सा

– शरद कटियार

उत्तर प्रदेश का कन्नौज जिला इन दिनों राजनीतिक उठा-पटक और जनाक्रोश का केंद्र बनता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे पर सत्ता में आई थी, अब उसी जनता के विरोध का सामना कर रही है। पार्टी के आंतरिक कार्यक्रमों में लोधी समाज के अपने ही कार्यकर्ताओं द्वारा ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाए जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। ये घटनाएं केवल असंतोष की परछाई नहीं हैं, बल्कि यह उस आक्रोश का विस्फोट हैं जो वर्षों से पनप रहा है।पूर्व में गुस्से की लहर बमुश्किल थमी थी,जो फिर चल निकली।

कन्नौज में भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक पर स्थानीय नागरिकों और पत्रकारों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। आरोप हैं कि उनके कार्यकाल में न केवल पत्रकारों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए, बल्कि इन मामलों में उन्हें कई धाराओं में फंसाकर जेल भेजा गया। यह केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने की सुनियोजित कोशिश है।

पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार केवल सत्ता की असहिष्णुता का प्रतीक नहीं, बल्कि उस डर का भी परिचायक है जो सत्ताधारी वर्ग को सच सामने आने से होता है। यदि सत्य बोलने वालों को झूठे मामलों में फंसाया जाएगा, तो यह समाज को अंधकार की ओर ले जाने वाली प्रवृत्ति होगी।

इस पूरे परिदृश्य में केवल पत्रकार ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी निशाने पर रहे। रिपोर्टों के अनुसार, भाजपा से जुड़े प्रभावशाली लोगों द्वारा सदर तहसीलदार के घर में घुसकर उनके साथ मारपीट की गई। साथ ही एक अन्य घटना में स्थानीय चौकी में घुसकर चौकी इंचार्ज से भी मारपीट हुई। ये घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं, बल्कि यह दर्शाती हैं कि राजनीतिक सत्ता के संरक्षण में किस प्रकार कानून का दुरुपयोग हो रहा है।

यदि किसी जिले में प्रशासनिक अधिकारियों को भी सुरक्षित महसूस न हो, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यह स्थिति केवल अराजकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।

वर्तमान परिस्थितियों में यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा केवल विपक्षी दलों से ही नहीं, बल्कि अपने ही कार्यकर्ताओं के आक्रोश का भी सामना कर रही है। हाल ही में मेडिकल कालेज के एक कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंच से ही ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। यह आक्रोश केवल नेतृत्व की विफलताओं का नहीं, बल्कि उस धोखे का परिणाम है जो पार्टी ने जनता से अपने वादों के रूप में किया था।

‘विकास’ के नाम पर जनता को सपने दिखाए गए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रही। कन्नौज जैसे जिलों में बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं, बेरोजगारी और महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। और जब जनता सवाल पूछती है, तो उन्हें ‘झूठे मुकदमे’ नामक हथियार से चुप कराया जाता है।

एक अन्य गंभीर मामला भाजपा की ही पूर्व नेत्री से जुड़ा है, जिनपर आरोप है कि उन्होंने स्थानीय लोगों और उच्च पदस्थ पत्रकारों के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर मुकदमे लिखवाए। और उन मामलों में मंत्री अरुण असीम का समर्थन भी सामने आया, जिसने सत्ता के संरक्षण में इस अन्याय को और अधिक पुष्ट किया।

यह स्थिति दर्शाती है कि जब सत्ता का उद्देश्य जनसेवा के बजाय व्यक्तिगत प्रतिशोध और राजनीति की रक्षा बन जाता है, तो समाज में विश्वास की दीवारें ढहने लगती हैं। श्रद्धा और आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ केवल कानूनी अन्याय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अपमान भी है।

अब जब भाजपा के अपने कार्यक्रमों में ही विरोध की आवाजें उठने लगी हैं, तो यह स्पष्ट है कि जनता अब चुप नहीं रहेगी। पिछले वर्षों में जो अन्याय, उत्पीड़न और झूठे वादे जनता ने सहे, अब उसका हिसाब मांगा जा रहा है।
कन्नौज की जनता ने अब तय कर लिया है कि वे उन नेताओं को सबक सिखाएंगे जिन्होंने उनकी भावनाओं के साथ खेला, झूठे मुकदमे दर्ज कराए, और लोकतंत्र के स्तंभों को कुचलने की कोशिश की। यह केवल सत्ता परिवर्तन की मांग नहीं, बल्कि जनसम्मान और न्याय की पुकार है।

भाजपा के लिए यह समय केवल विरोध को खारिज करने का नहीं, बल्कि आत्ममंथन का है। क्या पार्टी अपने नेताओं के कृत्यों की जांच करवाएगी? क्या पत्रकारों और अधिकारियों पर हुए अन्याय की समीक्षा की जाएगी? या फिर पार्टी इसी तरह असंतोष को दमन के माध्यम से नियंत्रित करने की कोशिश करती रहेगी?

यदि भाजपा वाकई लोकतंत्र और जनसेवा के मूल्यों में विश्वास रखती है, तो उसे कन्नौज जैसी घटनाओं को चेतावनी मानकर अपनी नीतियों में सुधार करना होगा। अन्यथा जनता का आक्रोश किसी भी सत्ताधारी को बहुत दूर तक नहीं ले जाने देता।

कन्नौज की वर्तमान स्थिति एक आईना है—जिसमें सत्ता को खुद को देखना होगा और तय करना होगा कि वह जनविरोध का प्रतीक बनना चाहती है या जनसेवा का उदाहरण।

रेलवे ट्रैक पर लोहे का दरवाजा रखने वाले गिरफ्तार

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लखनऊ: रेलवे ट्रैक पर लोहे के दरवाजे को रखने के आरोप में तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपी रात के समय रेलवे ट्रैक पर नया लोहे का गेट चोरी करके ले जा रहे थे, और जब ट्रेन आने वाली थी तो पटरी पर गेट छोड़कर फरार हो गए थे।

पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और लोहे के गेट का एंगल बरामद किया। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान मुरादाबाद के रहने वाले रवि कुमार, सुनील और राजीव कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि यह अपराध रेलवे सुरक्षा के लिए खतरे की तरह था और इन आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

रेलवे अधिकारियों ने भी इस घटना की निंदा की और रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर और भी कड़े कदम उठाने की बात कही है।

यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम घोषित, 10वीं और 12वीं में छात्रों का शानदार प्रदर्शन

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प्रयागराज: यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। बोर्ड ने इस साल कुल 90.11 प्रतिशत छात्रों को सफलता प्रदान की, जबकि 12वीं में यह प्रतिशत 81.15 प्रतिशत रहा। 10वीं में यश प्रताप सिंह ने 97.83 प्रतिशत अंक प्राप्त कर टॉप किया, जबकि 12वीं में महक जायसवाल ने 96.60 प्रतिशत अंक के साथ टॉप किया।

यूपी बोर्ड के सचिव ने परिणाम घोषित करते हुए कहा कि इस साल परीक्षा परिणाम में पिछले साल की तुलना में अधिक छात्रों ने सफलता प्राप्त की है। सचिव ने बताया कि छात्र-छात्राओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण बोर्ड को इस साल कई रिकॉर्ड तोड़ने का मौका मिला। 10वीं और 12वीं के छात्रों के प्रदर्शन पर बोर्ड ने प्रसन्नता व्यक्त की और उनकी मेहनत और समर्पण को सराहा।

विभिन्न स्कूलों और जिलों के छात्र-छात्राओं ने भी बोर्ड के परिणामों पर खुशी जताई और अपने अच्छे प्रदर्शन को परिवार और शिक्षकों की मेहनत का परिणाम बताया। इस साल की परीक्षा में छात्रों ने विभिन्न विषयों में शानदार अंक प्राप्त किए हैं, जिसमें विज्ञान, गणित और अंग्रेजी प्रमुख थे।

अंसल API मामले में NCLAT का अंतरिम आदेश

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लखनऊ: अंसल API मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किया है। ट्रिब्यूनल ने इस आदेश में कहा कि अभिव्यक्ति के हित में कोई निमंत्रण नहीं दिया जा सकता और IRP (इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल) को इस तरह के निमंत्रण देने का अधिकार नहीं है। यह आदेश तब आया जब अंसल API के मामले में फॉर्म G जारी नहीं किया गया था।

ट्रिब्यूनल ने अंसल API मामले में सभी अधिकारियों के हस्तक्षेप की अनुमति दी है और आगामी सुनवाई 20 मई को तय की गई है। इस आदेश से न केवल अंसल API के अधिकारियों को राहत मिली है, बल्कि उन निवेशकों को भी फायदा होगा जो पिछले काफी समय से मामले के निस्तारण का इंतजार कर रहे थे।

इस मामले में अंसल API के खिलाफ कई आरोप थे, जिसमें कंपनी द्वारा धोखाधड़ी और निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। अब NCLAT ने कंपनी के पक्ष में यह अंतरिम आदेश दिया है, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है।