– एसकेएम इंटर कॉलेज की फर्जी मान्यता मामले में खुली भ्रष्टाचार की परतें, अधिकारी भी घेरे में
फर्रुखाबाद: एक ही भूमि और भवन पर इंटरमीडिएट व प्राइमरी दोनों स्तरों पर मान्यता प्राप्त करने का मामला अब बड़ा रूप लेता जा रहा है। इस पूरे प्रकरण के केंद्र में हैं वकील अवधेश मिश्रा (lawyer Awadhesh Mishra), जिन पर अब उच्च न्यायालय इलाहाबाद को गुमराह करने का गंभीर आरोप लगा है।
सूत्रों के अनुसार, नवाबगंज क्षेत्र के खानपुर स्थित एसकेएम इंटर कॉलेज के संदर्भ में जब जिलाधिकारी द्वारा गठित त्रिस्तरीय जांच समिति ने अवधेश मिश्रा की संस्थानिक अनियमितताएँ सही पाई थीं, तब जिलाधिकारी ने शासन को पत्र भेजकर कॉलेज की मान्यता हरण की कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
हाईकोर्ट में गलत जानकारी देकर लिया राहत का प्रयास
कार्रवाई से बचने के लिए अवधेश मिश्रा ने वर्ष 2021 में रिट याचिका संख्या 15120/2021 उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दाखिल की। याचिका में उन्होंने अपने कॉलेज को “ऐडेड” (राजकीय सहायता प्राप्त) बताया, जबकि वास्तव में वह कॉलेज नॉन-ऐडेड (स्ववित्तपोषित) श्रेणी में आता है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने 17 जनवरी 2022 को दिए आदेश में जिलाधिकारी के निर्णय को संवैधानिक और न्यायोचित माना था तथा इसे “नज़ीर” बताया था।
फिर दाखिल की स्पेशल अपील, निदेशक को भी गुमराह किया
इसके बावजूद अवधेश मिश्रा ने उक्त आदेश के विरुद्ध स्पेशल अपील संख्या 55/2022 दाखिल की। इस अपील में उन्होंने एक बार फिर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया, जिसके परिणामस्वरूप माध्यमिक शिक्षा निदेशक को अपने स्तर से पुनः जांच करने का आदेश मिला।
जब निदेशक ने जांच के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) नरेंद्र पाल सिंह से रिपोर्ट मांगी, तो उन्होंने पहले की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर, कथित रूप से मोटी रकम लेकर अवधेश मिश्रा के पक्ष में भ्रामक रिपोर्ट भेज दी। और मान्यता प्रत्याहरन की कार्रवाई बचा दी।
इस रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज की अवैध मान्यता बचाई गई, जबकि पहले की सरकारी जांचों में उसे अनियमित पाया गया था।
रिश्तेदार वकील की मिलीभगत से खेल
सूत्रों के अनुसार, अवधेश मिश्रा के इस पूरे खेल में उनके रिश्तेदार वकील संतोष कुमार पांडे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अदालतों में भ्रम पैदा करने, दस्तावेजों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और सरकारी अधिकारियों पर प्रभाव डालने में संतोष पांडे के सहयोग का आरोप लगाया जा रहा है।
इस मामले ने न केवल शिक्षा विभाग, बल्कि न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। वर्षों से चल रही यह जांच अब भी अधर में लटकी है, जबकि एसकेएम इंटर कॉलेज की वैधता पर लगातार विवाद बना हुआ है। जनता और शिक्षाविदों की मांग है कि इस पूरे प्रकरण की जांच ईडी या सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर एक शातिर वकील कैसे प्रशासन से लेकर न्यायालय तक को अपने जाल में फंसा पाया जा रहा है।


