नई दिल्ली: शिक्षा जगत में इन दिनों भारी उथल-पुथल है। केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में शिक्षकों के लिए TET (Teacher Eligibility Test) अनिवार्य किए जाने के बाद लाखों शिक्षकों में गुस्सा है। देशभर के शिक्षक संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ 24 नवंबर को दिल्ली (Delhi) कूच का ऐलान किया है। शिक्षक संगठनों ने कहा कि जो शिक्षक वर्षों से पढ़ा रहे हैं, उन्हें अब फिर से परीक्षा देने को मजबूर करना अपमानजनक है। उनका तर्क है कि अनुभव ही असली योग्यता है, और सरकार इसे अनदेखा कर रही है।
25 अक्टूबर से देशभर में जनसंपर्क अभियान और जिला स्तर पर बैठकें शुरू होंगी, जिनमें टीईटी नीति के विरोध में शिक्षकों को संगठित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड के शिक्षक संघ पहले ही इस नीति को वापस लेने की मांग कर चुके हैं। दिल्ली शिक्षक संघ की अध्यक्ष रीना शर्मा ने कहा, “हम पढ़ा रहे हैं, परिणाम दे रहे हैं, बच्चों का भविष्य बना रहे हैं — फिर भी हर कुछ साल में हमें अपनी योग्यता साबित करनी पड़ती है, ये शिक्षा व्यवस्था का मज़ाक है।”
शिक्षा मंत्रालय ने अपने बचाव में कहा है कि टीईटी से शिक्षण की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि यह “नीतिगत उत्पीड़न” है।24 नवंबर को देशभर से हजारों शिक्षक दिल्ली पहुंचेंगे और जंतर-मंतर से संसद मार्ग तक मार्च करने की योजना है।


