जीवनशैली में सुधार, रक्तचाप और रक्त शर्करा पर नियंत्रण जरूरी: प्रो. डॉ. ए.के. सिंह
अजय कुमार
लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (Dr. Ram Manohar Lohia) के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग द्वारा राष्ट्रीय पीएमआर दिवस (National PMR Day) बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। इस वर्ष का विषय था “विकलांगता को होने से पहले रोकें”, जिसका उद्देश्य विकलांगता (disability) की रोकथाम और प्रारंभिक पुनर्वास की अहम भूमिका के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना था।
कार्यक्रम के दौरान विकलांगता जागरूकता एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम, तथा पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें मरीजों और पीएमआर स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी दिखाई। इन गतिविधियों के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि समय पर हस्तक्षेप से न केवल विकलांगता को रोका जा सकता है, बल्कि रोगी की कार्यक्षमता और स्वतंत्रता को भी बढ़ाया जा सकता है।
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पोस्टर प्रतियोगिता में मरीज संवर्ग में प्रथम ज्योति साहू (पैराप्लेजिक), द्वितीय उग्रसेन (रीढ़ की हड्डी में चोटिल), तृतीय खुशियाली (जेबीएस) एवं स्टाफ संवर्ग में प्रथम सरस्वती, द्वितीय उपासना, तृतीय हर्षिता रहीं। मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. ए.के. सिंह, अध्यक्ष, न्यूरोलॉजी विभाग ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने प्रारंभिक पुनर्वास और विकलांगता की रोकथाम हेतु रणनीतियों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने सुझाया कि जीवनशैली में सुधार कर, रक्तचाप और रक्त शर्करा को नियंत्रित रखना, दोध्चार पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट व सीट बेल्ट पहनना, जैसी सावधानियों से अनेक विकलांगताओं को रोका जा सकता है। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि समय पर पुनर्वास चिकित्सा से कार्यात्मक परिणामों में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है और दीर्घकालिक विकलांगता के बोझ को कम किया जा सकता है।
प्रो. वी.एस. गोगिया, अध्यक्ष, पीएमआर विभाग ने बताया कि संस्थान के निदेशक प्रो. सी.एम. सिंह के आशीर्वाद से पीएमआर विभाग को अब अपना स्वयं का ऑपरेशन थिएटर आवंटित किया गया है, जिसमें अब सभी पुनर्वास व विकलांगता-संशोधन सर्जरी की जाएंगी। यह महत्वपूर्ण कदम पोलियो के बाद की कमजोरी, सेरेब्रल पाल्सी, क्लब फुट आदि से प्रभावित रोगियों को विशेष सर्जरी सेवाएं सुलभ कराने में सहायक सिद्ध होगा।