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Tuesday, July 22, 2025

राष्ट्रहित: व्यक्ति से लेकर व्यवस्था तक की ज़िम्मेदारी

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इं. विकास कटियार, नोएडा

 

राष्ट्रहित—एक ऐसा शब्द, जिसे हम सुनते तो बहुत हैं, पर क्या हमने कभी गहराई से सोचा है कि इसका सही अर्थ क्या है? क्या राष्ट्रहित (National interest) सिर्फ़ सरकार की नीति-निर्माण तक सीमित है या यह हर नागरिक के सोच और कर्म से जुड़ा हुआ दायित्व है? दरअसल, राष्ट्रहित (National interest) एक भाव है, जो नीतियों से लेकर नैतिकताओं तक, और व्यक्ति से लेकर पूरे समाज तक फैला होता है।

राष्ट्र पहले, मैं बाद में   

जब कोई व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के बारे में सोचता है, तभी असली राष्ट्रनिर्माण शुरू होता है। एक इंजीनियर की तरह जब मैं कोई संरचना बनाता हूँ, तो उसकी नींव सबसे महत्वपूर्ण होती है। उसी प्रकार राष्ट्र की नींव उसके नागरिकों के चरित्र, ईमानदारी, कर्तव्यबोध और परिश्रम पर टिकी होती है। अगर हर व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में पूरी ईमानदारी और गुणवत्ता से काम करे, तो राष्ट्रहित की सबसे बड़ी सेवा वहीं से शुरू हो जाती है।

राजनीति और राष्ट्रहित

दुर्भाग्यवश, आज की राजनीति में राष्ट्रहित की परिभाषा कई बार पार्टी हित में सिमट जाती है। पर सच्चे जनप्रतिनिधि वही हैं, जो सत्ता में रहें या विपक्ष में—हर स्थिति में राष्ट्र को सर्वोपरि रखें। नीति, योजना और योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और दीर्घकालिक दृष्टि ही राष्ट्रहित का मूल आधार है।

युवा और राष्ट्र का भविष्य

आज का युवा यदि सिर्फ नौकरी और निजी जीवन तक सीमित रह जाए, तो राष्ट्र की उन्नति अधूरी रह जाती है। शिक्षा, तकनीक, स्टार्टअप, समाज सेवा—हर क्षेत्र में यदि युवा “मेरे देश को इससे क्या लाभ होगा” सोचकर कदम बढ़ाए, तो भारत वैश्विक नेतृत्व में अपनी स्थिति और मजबूत करेगा। राष्ट्रहित का बीज विद्यालयों में बोया जाना चाहिए और विश्वविद्यालयों में इसे आत्मा की तरह सिखाया जाना चाहिए।

राष्ट्रहित बनाम तात्कालिक स्वार्थ

राष्ट्रहित हमेशा दीर्घकालिक सोच से जुड़ा होता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई निर्णय अल्पकाल में कष्टदायक लगता है, लेकिन भविष्य में वही देश को मजबूती देता है। नागरिकों का कर्तव्य है कि वे ऐसे निर्णयों को समझें, समर्थन करें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दें, भले ही उसका व्यक्तिगत लाभ तात्कालिक न हो।

सरकारें आती जाती हैं, पर राष्ट्र की आत्मा अटल रहती है। इसलिए राष्ट्रहित की रक्षा केवल शासकों का ही नहीं, बल्कि शिक्षकों, डॉक्टरों, इंजीनियरों, किसानों, सैनिकों, श्रमिकों, वैज्ञानिकों, लेखकों, कलाकारों—सभी का दायित्व है।

राष्ट्रहित एक आदर्श नहीं, एक जीवनशैली है। जब हर नागरिक ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाता है, जब प्रत्येक नीति में दीर्घकालिक जनहित निहित होता है, जब युवा अपने सपनों में देश को शामिल करता है—तभी राष्ट्रहित साकार होता है। इसलिए आइए, हम सब संकल्प लें कि अपने छोटे-छोटे कार्यों में भी राष्ट्र का हित देखें। यही सच्चा देशप्रेम है, यही सच्ची देशभक्ति है।

 

जय हिंद!

लेखक – दैनिक यूथ इंडिया के संपादकीय सलाहकार हैं।

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