23.9 C
Lucknow
Wednesday, October 8, 2025

मोनू राठौर और सौरभ कटियार से बने विधायक, अब उन्हीं को दिखा रहे नीचा नागेन्द्र सिंह राठौर

Must read

– चुनावी रण में तन-मन-धन से उतरे थे मोनू राठौर और सौरभ कटियार

फर्रुखाबाद। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने भोजपुर सीट से नागेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा था, तब क्षेत्रीय युवा नेता गैसिंगपुर निवासी मोनू राठौर और जहानगंज निवासी पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सौरभ कटियार ने तन-मन-धन से पूरी ताक़त झोंक दी। दोनों नेताओं की ज़मीनी पकड़, लोकप्रियता और जनसंपर्क की बदौलत नागेन्द्र सिंह को भारी मतों से जीत मिली और वे विधायक निर्वाचित हुए।

लेकिन जीत के कुछ ही महीनों बाद विधायक नागेन्द्र सिंह ने न केवल जनता से दूरी बनानी शुरू की, बल्कि अपने चुनावी सहयोगियों को भी दरकिनार कर दिया। आरोप है कि उन्होंने मोनू राठौर और सौरभ कटियार को नीचा दिखाने की साज़िशें रचनी शुरू कर दीं। जहां वादों की जगह लालच और सियासी चालबाज़ियों ने जगह ली, वहीं इन दो युवा नेताओं को छल और धोखे का सामना करना पड़ा।

सौरभ कटियार को कमालगंज और मोनू राठौर को मोहम्मदाबाद का ब्लॉक प्रमुख बनाने का लालच देकर क्षेत्र पंचायत सदस्य बनवाया गया। लेकिन आरोप है कि विधायक ने गुपचुप साठगांठ कर इन दोनों नेताओं को पीछे से धोखा दे दिया, जिससे उनके ब्लॉक प्रमुख बनने के सपने टूटकर बिखर गए।

इस धोखे से आहत होकर सौरभ कटियार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया और समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। वर्तमान में वे सपा के जिला उपाध्यक्ष हैं। वहीं मोनू राठौर ने राजनीतिक ग़द्दारी से टूटकर चुपचाप अपने व्यवसाय में ध्यान लगाना शुरू किया। कुछ समय उन्होंने जेल भी काटी और अब वे राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बनाए हुए हैं।
हाल ही में हुए एक घटनाक्रम ने विधायक की कार्यशैली और छवि पर और भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। बीते दिन, विधायक नागेन्द्र सिंह के करीबी माने जाने वाले ए.के. राठौर ने सौरभ कटियार की उनके गांव जहानगंज के चौराहे पर सरेआम पिटाई कर दी। बताया जा रहा है कि ए.के. राठौर विधायक की गाड़ी में ही सवार थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हमला सौरभ कटियार को डराने और नीचा दिखाने के उद्देश्य से किया गया।

इस घटना के बाद क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। जनता में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि जिन्हें विधायक की कुर्सी तक पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका निभाई, आज वही नेता अपमान और हमले का शिकार हो रहे हैं। गांव-गांव में लोग कह रहे हैं – “जो अपनों का नहीं हुआ, वो जनता का क्या होगा?”

2017 के विधानसभा चुनाव में तन, मन और धन से जीत दिलाने वाले दो युवा नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार और उन पर हमले की घटना ने विधायक नागेन्द्र सिंह की राजनीतिक छवि को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता, विपक्षी दल और भाजपा संगठन इस पूरे प्रकरण पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या इस कहानी को कोई नया मोड़ मिलता है?

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article